आरएसएस प्रमुख मोहन भगवत (फोटो: PTI)
कोल्हापुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को लोकसभा चुनावों के प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मर्यादा नहीं बनाए रखने पर नाराजगी व्यक्त की। इस पर अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का बयान सामने आया है। महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री और भाजपा नेता चंद्रकांत पाटिल ने मंगलवार को कहा कि मोहन भागवत “पितातुल्य” हैं और उन्हें बोलने का अधिकार है।
पाटिल ने कोल्हापुर में संवाददाताओं से कहा, “चूंकि मैं पिछले तीन दिनों से यात्रा कर रहा था, इसलिए मुझे उनकी बातें सुनने का मौका नहीं मिला। कुछ बयानों से अलग-अलग निष्कर्ष निकाले जा रहे हैं। हालांकि, मोहनजी हमारे लिए पितातुल्य हैं और अगर घर में कुछ हुआ है, तो उन्हें बोलने का अधिकार है।”
लोकसभा चुनाव परिणामों के बारे में पूछे जाने पर कैबिनेट मंत्री पाटिल ने कहा कि भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर और महाराष्ट्र में राज्य स्तर पर अपने प्रदर्शन का विश्लेषण करेगी। राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 2019 में 23 सीट जीती थी और इस बार नौ सीट ही जीत सकी।
गौरतलब है कि आरएसएस प्रशिक्षुओं की एक सभा को संबोधित करते हुए सोमवार को नागपुर में भागवत ने कहा था कि राजनीतिक दल और नेता एक-दूसरे के बारे में बुरा-भला कहते समय इस बात पर ध्यान नहीं दे रहे हैं कि इससे समुदायों के बीच दरार पैदा हो सकती है। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि आरएसएस को भी बिना किसी कारण के इसमें घसीटा जा रहा है।
भागवत ने मोदी सरकार को आईना दिखाते हुए कहा था कि विपक्ष को विरोधी नहीं माना जाना चाहिए, क्योंकि वे विपक्ष हैं, एक पक्ष को उजागर कर रहे हैं। उनकी राय भी सामने आनी चाहिए। चुनाव लड़ने की एक गरिमा होती है। उस गरिमा को बनाए नहीं रखा गया। चुनाव में गरिमा बनाए रखना ज़रूरी है। हमारे देश के सामने चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं। देश में एनडीए सरकार फिर से सत्ता में है, यह सही है कि पिछले 10 सालों में बहुत सारी सकारात्मक चीजें हुई हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अब हम चुनौतियों से मुक्त हो गए हैं।
भागवत ने मणिपुर हिंसा पर भी चुप्पी तोड़ी और कहा कि मणिपुर एक साल से शांति का इंतजार कर रहा है। ऐसा लग रहा था कि पुरानी बंदूक संस्कृति खत्म हो गई है। लेकिन राज्य में अचानक हिंसा बढ़ गई है। इस पर प्राथमिकता के साथ ध्यान देने की जरुरत है। (एजेंसी इनपुट के साथ)