फाइल फोटो (सोर्स: एएनआई)
कोल्हापुर: राज्य में महायुति की सरकार है। जिसमें बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है। अगले विधानसभा चुनाव में महायुति साथ चुनाव लड़ने की बात कही है। हालांकि इससे एनसीपी, शिवसेना और बीजेपी के कुछ नेताओं के बीच सीट बटवारों को लेकर कई जगह विवाद हो सकता है। ताजा चर्चा बीजेपी को लेकर है। कोल्हापुर में विधानसभा चुनाव महायुति के रूप में लड़ने का निर्णय लिया गया है। लेकिन, यहां बीजेपी को विधानसभा की दस सीटों में से केवल दो सीटें मिलने की चर्चा हो रही है। इसे देखते हुए बीजेपी में आए कार्यकर्ताओं ने भी अब वापसी का सफर शुरू कर दिया है। ऐसे समय में पार्टी नेतृत्व के सामने विधानसभा चुनाव में कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने की चुनौती बढ़ती जा रही है।
केंद्र और राज्य में सत्ता में रहने के बावजूद जिले में भाजपा की स्थिति दयनीय हो गयी है। विधानसभा चुनाव में महायुति के कारण पार्टी की कुछ सीमाएं हैं। हालांकि बीजेपी ने जिले में 4 सीटों पर दावा किया है, लेकिन दो निर्वाचन क्षेत्र पन्हाला-साहूवाडी और हातकंणगले को जनसुराज्य के लिए छोड़ना होगा। कोल्हापुर उत्तर विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी ने अपने दम पर उपचुनाव लड़ा और 78 हजार वोट हासिल किए। भले ही बीजेपी इस सीट पर दावा कर रही है, लेकिन चुनाव से पहले ही पार्टी के अंदर मतभेद सामने आ गए हैं।
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कागल विधानसभा सीट पर बीजेपी ने दावा किया था। समरजीत सिंह घाटगे के रूप में एक मजबूत उम्मीदवार भी थे। हालांकि, महायुति के निर्णय के कारण घाटगे राष्ट्रवादी शरद पवार समूह में शामिल हो गए। इससे कागल में भाजपा को बड़ा झटका लगा है। वर्तमान तस्वीर यह है कि जिले में केवल दो विधानसभा क्षेत्र, इचलकरंजी और कोल्हापुर दक्षिण, भाजपा को आवंटित किए जाने की चर्चा है। कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि भाजपा के प्रदेश स्तरीय नेतृत्व ने जिले की उपेक्षा की है।
उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कोल्हापुर की बागडोर सांसद धनंजय महाडिक को सौंपी है क्योंकि उनका पूरा ध्यान कोथरुड निर्वाचन क्षेत्र पर है। हालांकि, दिल्ली में सम्मेलनों और पार्टी बैठकों के कारण धनंजय महाडिक अभी तक मैदान में नहीं उतरे हैं। इसलिए महायुति की बैठकों में जिले की सीटों पर कौन जोर देगा? चुनाव का नेतृत्व कौन करेगा? ऐसा सवाल कार्यकर्ताओं के सामने है।
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संभावना है कि इचलकरंजी से पूर्व विधायक सुरेश हलवणकर को राज्यपाल द्वारा नियुक्त कोटे से विधायक सीट दी जाएगी। अगर ऐसा हुआ तो राहुल आवाडे को कमल के निशान से चुनाव लड़ने के लिए कहा जाएगा। लेकिन क्या वे इसके लिए तैयार हैं? क्या राहुल आवाडे शिव सेना शिंदे ग्रुप में शामिल होंगे? ऐसी कई संभावनाओं का अनुमान लगाया गया है। यदि ऐसा हुआ तो बीजेपी अपना उचित निर्वाचन क्षेत्र खो देगी।
चंदगड विधानसभा क्षेत्र से शिवाजी पाटिल बीजेपी से उम्मीदवार हैं। पिछली बार वे कुछ वोटों से हार गये थे। पांच साल में संसदीय क्षेत्र बनाया। हालांकि, यहां राष्ट्रवादी कांग्रेस का विधायक होने के कारण बीजेपी को यह सीट नहीं मिलेगी। ठाणे में दही हांडी कार्यक्रम के दौरान उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि शिवाजी पाटिल को चंदगड के लोगों का आशीर्वाद प्राप्त है, जिससे माना जा रहा है कि उन्होंने उन्हें निर्दलीय लड़ने का संकेत दिया है।