वैष्णवी आत्महत्या मामले पर मराठा समाज आक्रामक। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
जालना: दहेज के लिए ससुराल में हो रहे उत्पीड़न से तंग आकर वैष्णवी हगवणे ने आत्महत्या कर ली। इस घटना के बाद मराठा समाज ने इस तरह के पारिवारिक हिंसाचार करने वाले परिवारों का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। ऐसे परिवारों के साथ कोई भी रोटी-बेटी का व्यवहार नहीं किया जाएगा। साथ ही, शादी के दौरान हो रही दहेज की मांग जैसी कुप्रथाओं को रोकने के लिए आचार संहिता बनाने का भी फैसला लिया गया है।
वैष्णवी की आत्महत्या का मामला पुणे सहित पूरे राज्य में गूंज रहा है। इसके खिलाफ मराठा समाज ने उन प्रवृत्तियों पर बहिष्कार लगाने की भूमिका निभाई है। इस संदर्भ में मराठा समाज के सदस्यों की बैठक हुई। इस दौरान वैष्णवी को ‘सकल मराठा समाज’ की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की गई और शादी में हो रही कुप्रथाओं को दूर करने के लिए आचार संहिता बनाने पर चर्चा की गई।
बैठक में यह भी कहा गया कि ससुराल में परेशान होने वाली लड़कियों को परिवार में वापस लाने में समाज की सोच ‘क्या कहेगा समाज’ जैसी मानसिकता के कारण लड़कियां मायके नहीं आतीं। लेकिन अगर समाज पिता और बेटी दोनों के साथ खड़ा रहेगा तो कोई समस्या नहीं रहेगी। आत्महत्या या जान देने का रास्ता सही नहीं है। इन समस्याओं का समाधान निकालने के लिए इस बैठक में चर्चा हुई है और पहला कदम उठाया गया है।
इस बैठक के बाद वरिष्ठ नेता श्रीकांत शिरोले, पूर्व महापौर राजलक्ष्मी भोसले, कमल व्यवहारे, प्रकाश म्हस्के, दत्तात्रय धनकावड़े, अरविंद शिंदे, विधायक चेतन तुपे, प्रशांत जगताप, दत्ता बहिरत, अजीत दरेकर आदि ने मीडिया प्रतिनिधियों को बैठक में हुई चर्चा के बारे में जानकारी दी।
इस अवसर पर शिरोले ने कहा, ‘विवाह समारोह सीमित संख्या में लोगों के साथ समय पर होंगे, पूरे समाज को जागरूक किया जाएगा कि समाज के प्रतिष्ठित लोग दामाद को सोने के गहने, कार की चाबी आदि देने की जिद न करें, और न ही हंगामा करें। समाज किसी भी लड़की का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं करेगा।
बहुओं को परेशान करने की प्रवृत्ति का पूर्ण विरोध है, और अगर किसी घर में वैष्णवी के आत्महत्या जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना होती है, तो उनके साथ रोटी-बेटी व्यवहार नहीं किया जाएगा। उनका पूर्ण रूप से बहिष्कार किया जाएगा। हर लड़की को शिक्षित करके उसके पैरों पर खड़ा किया जाएगा। समाज मुश्किल समय में उनके पीछे मजबूती से खड़ा रहेगा। इस बैठक में विभिन्न संकल्प लिए गए।
ससुराल में प्रताड़ित लड़की को घर कैसे लाया जाए, समाज क्या कहेगा, इस भावना से लड़कियों को मायके नहीं लाया जा रहा है। लेकिन अगर समाज ऐसे पिता और बेटी के साथ खड़ा हो जाए तो कोई समस्या नहीं होगी। जान दे देना, आत्महत्या कर लेना कोई रास्ता नहीं है। आयोजकों ने बताया कि इस बैठक में रास्ता निकालने के लिए चर्चा हुई है और पहला कदम उठाया गया है।