एकनाथ शिंदे-अनिल पाटिल-अजित पवार (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Jalgaon Politics: राष्ट्रवादी कांग्रेस (अजित पवार गुट) के विधायक अनिल पाटिल ने हाल ही में शिवसेना (शिंदे गुट) में शामिल हुए अमलनेर के पूर्व विधायक शिरीष चौधरी पर तीखा हमला बोला। अनिल पाटिल ने चौधरी के पक्षांतरण को ‘नंदुरबार जिले में अपनी सियासी जमीन बचाने की कोशिश’ करार दिया और कहा, चौधरी चाहे किसी भी पार्टी में जाएं, फिर चाहे वह AIMIM ही क्यों न हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
अनिल पाटिल ने यह भी कहा कि महायुति के तौर पर हमारी प्रतिबद्धता शिवसेना और भाजपा के साथ है, लेकिन चौधरी शिंदे गुट में होने के बावजूद हम उनका विचार नहीं कर सकते। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पाटिल का यह ‘कड़ा तेवर’ महायुति के बैनर तले एकजुट होने का दावा करने वाले नेताओं के बीच निजी रंजिशों और गुटबाजी को दिखाता है। यह बयान शिंदे गुट के नेताओं का अपमान माना जा रहा है।
अनिल पाटिल के बयान पर शिरीष चौधरी ने भी तुरंत और करारा जवाब दिया, जिससे पाटिल की अपनी राजनीतिक पकड़ पर सवाल खड़े हो गए हैं- शिरीष चौधरी ने कहा कि नगरपालिका की राजनीति से अनिल पाटिल का कोई लेना-देना नहीं। पिछले पंचवर्षीय में साहेबराव पाटिल और हमारे पार्षद थे, उनका एक भी पार्षद नहीं था। चौधरी ने यह भी कहा कि यह उम्मीद भी न करें कि हम उनके पास जाएं, कुछ कहें या मांगें।
नगरपालिका चुनाव में शिवसेना अपने चुनाव चिह्न पर स्वतंत्र रूप से लड़ेगी। चौधरी के इन शब्दों से अनिल पाटिल के नगरपालिका क्षेत्र में ‘शून्य’ प्रभाव की पोल खुलती है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि नगरपालिका में एक भी पार्षद न होने वाले पाटिल का दूसरों धमकी देना, युति के सिद्धांतों के खिलाफ है। बयान से शिंदे गुट में असंतोष बढ़ा है, और अगर ऐसे नेता निजी महत्वाकांक्षाओं के लिए युती को खतरे में डालते रहे, तो आगामी चुनावों में विपक्ष को फायदा मिल सकता है। अब देखना यह है कि पार्टी सुप्रीमो अजित पवार इस विवाद पर क्या कार्रवाई करते हैं।
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पाटिल के बयान से शिंदे गुट में असंतोष बढ़ा है, और यह साफ है कि भाजपा व राष्ट्रवादी के कुछ नेता शिंदे गुट के नेतृत्व पर पूरी तरह भरोसा करने को तैयार नहीं। विश्लेषकों का मानना है कि महायुति के नेताओं में इस तरह की फूट पड़ने से आगामी चुनावों में विपक्ष को फायदा हो सकता है। निजी महत्वाकांक्षाओं के लिए युती को खतरे में डालना गठबंधन के भविष्य के लिए एक बड़ा संकट पैदा कर रहा है।
चौधरी के पक्षांतरण से शुरू हुआ यह विवाद अब अनिल पाटिल की राजनीतिक शैली पर ही उलटा पड़ गया है। शिंदे गुट के अपमान और महायुति के भीतर उपजे कलह को देखते हुए, सभी की निगाहें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट) के सुप्रीमो अजित पवार पर टिकी है। यह देखना होगा कि पवार अपनी पार्टी के विधायक द्वारा दिए गए इस विवादास्पद बयान और गुटबाजी को लेकर क्या एक्शन लेते हैं।