
कम उत्पादन ने किसानों के सपनों को कुचला
Gondia Agriculture News: इस वर्ष के खरीफ सीजन में बेमौसम बारिश ने किसानों को गहरे आर्थिक संकट में धकेल दिया है। धान का उत्पादन उम्मीद के मुकाबले काफी कम रहा, जिसके चलते किसानों का बजट पूरी तरह बिगड़ गया है। कम आय के कारण मौसमी खर्चों में कटौती कैसे की जाए और भविष्य के लिए किस प्रकार प्रबंध किया जाए। यह बड़ा प्रश्न किसानों के सामने खड़ा हो गया है।
ज़िले में धान की मलनी का काम अंतिम चरण में है। जिन किसानों ने चुराई का काम पूरा कर लिया है, उनके खलिहानों में पहुंची धान की मात्रा देखकर किसान हताश हो चुके हैं। सामान्य परिस्थितियों में एक एकड़ भूमि से 17 से 20 बोरी धान मिलता है, लेकिन इस वर्ष किसानों को मात्र 7, 8 या 9 बोरी ही प्राप्त हो रही है। कुछ किसानों को इससे भी कम उत्पादन मिला है। लगातार बढ़ते संकट ने किसानों की कमर तोड़कर रख दी है।
किसानों के अनुसार रोपाई, निंदाई, कटाई और चुराई तक प्रति एकड़ लगभग 15,000 से 18,000 रुपये का खर्च आता है। इतने खर्च के बाद भी उत्पादन बेहद कम होने से किसानों के सामने यह गंभीर सवाल खड़ा हो गया है कि वे क्या करें? आज कोई भी किसान आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है। खेती के मौसम में सरकारी नहीं बल्कि निजी साहूकारों से कर्ज लेना पड़ता है। अब कर्ज कैसे चुकाया जाए और घर का खर्च कैसे चलाया जाए यह समस्या किसानों को रातों की नींद हराम कर रही है।
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क्षेत्र में मुख्य रूप से धान की खेती होती है और जिले की अर्थव्यवस्था धान तथा कुछ हद तक पशुपालन पर निर्भर है। लेकिन इस बार धान की फसल में आए भारी नुकसान का असर न केवल किसानों की आय पर बल्कि संपूर्ण स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ना तय माना जा रहा है। अब किसानों की उम्मीदें रबी की फसल पर टिकी हैं।






