खोडशिवनी-खैरी मार्ग की दशा दयनीय
Gondia District: रास्ता खोज कर दिखाओं इनाम पाओं…ऐसी ही कुछ मांग सिंदीबिरी समूह ग्राम पंचायत के लोग इन दिनों कर रहे है। क्योंकी सड़क अर्जुनी (त.सं) तहसील के सिंदीबिरी समूह ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले खोडशिवनी रेलवे टोली से खैरी मार्ग पर सड़क नाम की कोई चीज ही नहीं है। पिछले 20 से 25 वर्षों से इस मार्ग की मरम्मत नहीं हुई है। इस कारण सड़क की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। जगह-जगह बने बड़े गड्ढों के कारण नागरिकों को इस मार्ग से गुजरना मुश्किल हो गया है, जिससे हर दिन उनका सफर जोखिम भरा बन गया है।
खोडशिवनी-रेलवे टोली से खैरी तक लगभग दो किलोमीटर लंबी इस सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हैं। सड़क अर्जुनी तहसील मुख्यालय होने के कारण यहां बाजार, शैक्षणिक संस्थान और सरकारी कार्यालय स्थित हैं। ग्रामीणों को इन स्थानों तक पहुंचने के लिए इसी खस्ताहाल सड़क से होकर गुजरना पड़ता है।
सौंदड जाने वाली मुख्य सड़क से यह मार्ग जुड़ता है, जिसके कारण इस पर हमेशा भारी यातायात रहता है। घाटबोरी, तेली घाटबोरी, सिंदीपार और बौद्धनगर के नागरिक रेलवे स्टेशन तक पहुंचने के लिए खोडशिवनी रेलवे टोली तक इसी मार्ग से आते हैं। सड़क अर्जुनी तक पहुंचने के लिए भी यह मार्ग लगभग 5-6 किलोमीटर की दूरी को कम करता है, लेकिन बीते दो दशकों से सड़क पर मरम्मत का नाम तक नहीं लिया गया है। दो किलोमीटर लंबे इस मार्ग पर 8 से 10 फीट तक गहरे गड्ढों के कारण लोग जान हथेली पर रखकर यात्रा करने को मजबूर हैं।
इस मार्ग पर अब तक कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें कई लोग गंभीर रूप से घायल और अपंग हो चुके हैं। बावजूद इसके इस सड़क की दुर्दशा की ओर किसी जनप्रतिनिधि ने ध्यान नहीं दिया। खोडशिवनी-रेलवे टोली से खैरी मार्ग सौंदड जिला परिषद क्षेत्र में आता है, लेकिन इस क्षेत्र के प्रतिनिधि वर्षों से मौन हैं। चुनाव के समय मतदाताओं से सड़क बनाने के झूठे वादे किए जाते हैं, परंतु चुनाव बीतते ही वादे धूल में मिल जाते हैं। नागरिकों का सवाल है कि सड़क निर्माण के नाम पर जारी विकास निधि आखिर जाती कहां है?
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सड़क निर्माण के नाम पर कई गांवों में पहले से अच्छी सड़कों को तोड़कर दोबारा बनाया जा रहा है, जबकि जिन स्थानों की सड़कें पूरी तरह जर्जर हो चुकी हैं, वहां मरम्मत के नाम पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। यह कार्यप्रणाली स्थानीय जनप्रतिनिधियों की प्राथमिकताओं पर प्रश्नचिह्न लगाती है। ग्रामीणों का कहना है कि विकास से जनप्रतिनिधियों का कोई सरोकार नहीं है। उन्हें केवल ऐसे कामों में रुचि है, जिनसे लाभ या “मलाई” हासिल की जा सके।