आयुर्वेदिक दवाईयों के नाम पर चल रही खुलेआम धोखाधड़ी (सौजन्यः सोशल मीडिया)
किसी भी बीमारी से जल्दी ठीक होने की दवाई मिले तो इसे पाने सभी लालायित रहते हैं। इन दवाईयों से बीमारी तो ठीक होती है लेकिन उसके शरीर पर दुष्परिणाम होते हैं। जिससे अनेक बार मरीज साईड ईफेक्ट का भय नहीं होने से आयुर्वेदिक दवाईयों को प्राथमिकता देते हैं। गोंदिया जिले में अनेक मार्गों पर वाहन खड़े कर या तंबू लगाकर दवाई वनस्पति से निर्मित होने की बात कहकर नागरिकों को फर्जी वैद्यों द्वारा लूटा जा रहा है।
जिससे नागरिकों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ने की संभावना बनी रहती है। इससे वैद्यकीय क्षेत्र की कोई भी डिग्री नहीं होने के बावजूद अनेक फर्जी वैद्य सर्दी, खांसी, गुप्त रोग, वात, लकवा, मधुमेह व किडनी की बीमारी तक का गारंटी के साथ उपचार करने का दावा करते दिखाई दे रहे हैं।
आयुर्वेदिक दवाईयों की बिक्री करने वाले यह विक्रेता अधिकांशत: हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब व उत्तर प्रदेश राज्य बताए जाते हैं। वे जंगलों से या आदिवासियों से वनस्पति व जड़ी-बूटी लाकर उससे दवाई तैयार करने की बात करते हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, बदलापुर आदि आदिवासी क्षेत्र से दवाईयां वनस्पति मिलने की जानकारी कुछ विक्रेताओं ने दी है। किसी विक्रेता के पास दवाई बिक्री की लायसेंस होगी तो वह दवाईयों की बिक्री कर सकता है। लेकिन किसी भी वैद्यकीय क्षेत्र की बिना डिग्री वाले दवाईयां स्वयं तैयार कर नागरिकों को बिक्री करते हैं। ऐसे विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने की जरूरत है।
सभी का जीवन अमूल्य है। जिससे किसी भी बीमारी पर डॉक्टरों की सलाह लेकर उपचार करें ताकि धोखाधड़ी ना हो। इतना ही नहीं उपचार भी उचित तरीके से हो सके। आयुर्वेदिक दवाईयों की दुकान लगाने वालों की लायसेंस जांचने की जरूरत है। ताकि जरूरतमंदों का शोषण व लूट ही नहीं उनके जीवन से खिलवाड़ भी रुक सके।
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आयुर्वेदिक दवाईयों से स्वास्थ्य पर कोई भी दुष्परिणाम नहीं होता इसका लाभ उठाकर फर्जी वैद्य नागरिकों से पैसा लेकर उनके साथ धोखाधड़ी करते हैं। इन दवाईयों के चक्कर में पड़ने वाले में गुप्तरोग और लैंगिक समस्या से त्रस्त मरीजों का प्रमाण अधिक है।