किसानों के लड़कों ने खेती से मोड़ा मुंह (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Gondia Farmers: गोंदिया जिले के किसान किसी न किसी कारण से शिकार हो रहे हैं। खेती पर अधिक खर्च और घटते उत्पादन के कारण किसानों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। इसे सरकार की नीति कहा जाए या अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा, यह समझ में नहीं आ रहा है। किसानों की दुर्दशा देखकर तहसील के ग्रामीण इलाकों में यह तस्वीर देखने को मिल रही है कि किसानों के लड़कों ने खेती से पूरी तरह मुंह मोड़ लिया है और काम की तलाश में बड़े शहरों की ओर भाग रहे हैं।
किसानों को समय पर खेती की खरपतवार, धान की बुआई से लेकर धान की कटाई तक उर्वरकों का उपयोग करना पड़ता है। यह सब करने के लिए किसानों के पास समय पर पैसा होना जरूरी है, लेकिन किसानों को विभिन्न माध्यमों से लूटे जाने की तस्वीर सामने आ रही है। फर्जी बीज और कुछ कृषि केंद्र धान की फसल की ऐसी किस्में उपलब्ध कराते हैं जो 130 से 140 दिनों में निकल आती हैं। जिससे किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है।
तहसील के किसान साहूकारों के विभिन्न ऋणों के बोझ तले दबे हुए हैं। जिससे किसान ब्याज के चक्रव्यूह में फंसे हुए हैं। बारिश से धान की फसल बर्बाद होने और बढ़ते कर्ज या किसानों की धान की फसल की गारंटी नहीं मिलने से किसान परेशान हैं। यही कारण है कि किसान साहूकार से कर्ज लेने की दुविधा में पड़ जाते हैं। किसान इसका कारण सरकार की नीति बता रहे हैं।
किसानों के खेतों में उगने वाला अनाज ही किसानों की आजीविका का साधन है। इसका भाग्य पूरी तरह से प्रकृति की इच्छा पर निर्भर करता है। पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण किसान फसल नहीं लगा पा रहे हैं। किसान सुबह से लेकर सूर्यास्त तक बारिश की प्रतीक्षा करते हैं। कभी-कभी बेमौसम भारी बारिश होती है और किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। गांव में कोई कारोबार नहीं है। जिससे युवा किसान आजीविका की तलाश में शहर की ओर भागते हैं।
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भले ही साहुकार उनके सामने कई शर्तें रखें, लेकिन किसान कर्ज स्वीकार कर खेती शुरू कर देता है। जिससे किसान संकट में है और इसका फायदा साहूकार उठा रहे हैं। इस तरह किसानों की लूट जारी है। किसान ठगे जा रहे हैं, लेकिन संबंधित विभाग इसे नजरअंदाज कर रहा है।