गोंदिया जिला बैंक पर सहकार पैनल का कब्जा (सौजन्यः सोशल मीडिया)
गोंदिया: गोंदिया में सहकारी राजनीति की सबसे बड़ी लड़ाई में मंगलवार को बड़ा उलटफेर हुआ। गोंदिया जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के चुनाव में भाजपा और अजित पवार गुट की राष्ट्रवादी कांग्रेस समर्थित सहकार पैनल ने 11 सीटें जीतकर बैंक की सत्ता पर कब्जा जमा लिया। इस कांटे के मुकाबले में विपक्षी परिवर्तन पैनल को 9 सीटें मिलीं। इस चुनाव ने जिले के राजनीतिक समीकरण हिला दिए और कई दिग्गज नेताओं को शर्मनाक हार का स्वाद चखाया।
20 संचालक पदों के लिए हुई इस चुनावी जंग में 2 उम्मीदवार पहले ही निर्विरोध चुन लिए गए थे। बाकी 18 सीटों के लिए रविवार को मतदान हुआ। 868 में से 894 मतदाताओं ने जबरदस्त उत्साह के साथ मतदान किया। मतगणना सोमवार को भारी सुरक्षा और सियासी गर्मी के बीच हुई। अंत में सहकार पैनल ने 11 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया और बैंक बोर्ड पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली।
इस जीत ने भाजपा–राष्ट्रवादी महायुती के गठबंधन को ग्रामीण और सहकारी राजनीति में बड़ी ताकत दी। सबसे खास बात यह रही कि सहकार पैनल से वर्तमान विधायक राजकुमार बडोले और विजय रहांगडाले भी विजयी हुए। अब ये नेता सिर्फ विधानसभा में नहीं, बल्कि सहकारी बैंक की नीतियों और फैसलों में भी अहम भूमिका निभाएंगे।
यह चुनाव खासदार प्रफुल्ल पटेल के लिए बड़ी जीत साबित हुआ। भले ही अजित पवार गुट चुनौतियों से जूझ रहा हो, लेकिन पटेल ने साबित कर दिया कि सहकारी क्षेत्र में उनकी पकड़ आज भी मजबूत है। उनके नेतृत्व में सहकार पैनल ने परिवर्तन पैनल को कड़ी टक्कर दी और निर्णायक बढ़त बनाई।
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इस चुनाव ने कई पुराने दिग्गज नेताओं की जमीन खिसका दी। बैंक के उपाध्यक्ष राधेलाल पटले, पूर्व विधायक दिलीप बन्सोड, संचालक उषा मेंढे, रेखलाल टेंभरे, राजकुमार कुथे, राजू जैन और गजानन परशुरामकर जैसे कद्दावर चेहरे हार गए। यह साफ इशारा है कि मतदाताओं ने इस बार पैनल और रणनीति को देखकर वोट दिया, न कि केवल नाम और रसूख को।
गोंदिया जिला बैंक का चुनाव केवल बैंक बोर्ड की कुर्सी के लिए नहीं था। यह लड़ाई खासदार प्रफुल्ल पटेल, भाजपा विधायक परिणय फुके और कांग्रेस के नाना पटोले जैसे नेताओं की राजनीतिक प्रतिष्ठा की भी परीक्षा थी।
सहकार पैनल की जीत ने भाजपा-राष्ट्रवादी महायुती खेमे में जोश भर दिया, वहीं विपक्ष के लिए यह एक बड़ा झटका साबित हुआ। इससे नतीजा साफ है की, गोंदिया में सहकारी बैंक चुनाव ने जिले की राजनीति को हिला कर रख दिया है। भाजपा-राष्ट्रवादी महायुती ने साबित कर दिया कि उनकी जड़ें गांव-गांव तक मजबूत हैं और वे सहकार क्षेत्र की सत्ता पर भी मजबूत दावेदारी पेश करने में सक्षम हैं। विपक्ष को अब अपनी रणनीति दोबारा गढ़नी होगी।