लैंडलाइन फोन (सोर्स: सोशल मीडिया)
Bhandara Landline News: कभी टेलीफोन होना रुतबे और शान की पहचान मानी जाती थी। 90 के दशक में जिसके घर या कार्यालय में लैंडलाइन फोन होता, उसकी समाज में इज्जत, प्रतिष्ठा बढ़ जाती। बैंकों, शासकीय दफ्तरों और बड़े संस्थानों में टेलीफोन ही संचार का सबसे प्रमुख जरिया माना जाता था। लेकिन आज हालत यह है कि पूरे भंडारा जिले में महज 70 लैंडलाइन कनेक्शन ही बचे हैं। वो भी ज्यादातर सरकारी दफ्तरों में औपचारिकता निभाने के लिए जिंदा है।
घरों में लैंडलाइन का नामोनिशान तक मिट चुका है। लोग लैंडलाइन को दफन कर चुके हैं। तीन दशक पहले लैंडलाइन कनेक्शन पाना आसान नहीं होता था। महीनों की प्रतीक्षा, मोटा डिपॉजिट और भारी मासिक बिल भरने के बाद ही टेलीफोन की घंटी घरों में बजती थी। जिसके घर में टेलीफोन होता, उसे समाज में अलग दर्जा हासिल होता।
आपात स्थिति में टेलीफोन ही जीवन रेखा माना जाता था। लेकिन आज वही लैंडलाइन धूल फांक रहा है। मोबाइल फोन ने संचार की तस्वीर ही बदल दी है। आज हर हाथ में स्मार्टफोन उपलब्ध है। इंटरनेट, व्हाट्सऐप और ईमेल ने पुराने टेलीफोन को कबाड़ बना डाला। टेलीफोन डायरेक्टरी का नामोनिशान मिट गया, एसटीडी बूथ इतिहास बन गए और घरगुती लैंडलाइन यादों में भी खो गए।
सरकारी कार्यालयों में ही लैंडलाइन किसी तरह जिंदा है। वह भी सिर्फ नीतिगत और आपातकालीन कॉल्स के लिए। निजी संस्थानों और घरों के लिए यह बोझ से ज्यादा कुछ नहीं। मोबाइल नेटवर्क ने वह काम कर दिखाया है, जो लैंडलाइन कभी नहीं कर सका।
डिजिटल इंडिया योजना के तहत जिले के सबसे दुर्गम इलाकों- पवनी तहसील के मेंढ़ा, सौंदड/खापरी, चिचखेड़ा, सिरसाला, भंडारा तहसील के मकरधोकड़ा, पुरकाबोड़ी, इटगाव, जामगाव/वडद, तुमसर तहसील के आलेसुर, सितेकसा, लाखनी तहसील के खुर्शीपार, चान्ना, साकोली के बरडकिन्ही और लाखांदुर के तिरखुरी गांव आदि में 4G टावर खड़े किए जा रहे हैं।
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प्रदीप शहारे ने बताया कि तीन दशक पहले टेलीफोन होना प्रतिष्ठा का प्रतीक था। लेकिन अब हर किसी के पास मोबाइल है। ऐसे में लैंडलाइन का खर्च और झंझट कौन उठाए? मोबाइल ने जिंदगी आसान कर दी है।
बीएसएनएल के सहायक महाप्रबंधक प्रवीण परिहार ने कहा कि बीएसएनएल ने तकनीक और सेवाओं में सुधार किया है। जिले में लगभग 4 हजार कनेक्शन फाइबर ऑप्टिकल नेटवर्क पर शिफ्ट किए गए हैं। बीएसएनएल की मौजूदगी से प्राइवेट कंपनियों के दाम काबू में रहते हैं। यही वजह है कि ग्राहक फिर से बीएसएनएल की ओर झुक रहे हैं।