गड़चिरोली में नदियों का संगम (सौजन्य-नवभारत)
Gadchiroli News: गड़चिरोली जिले में भौगोलिक और सांस्कृतिक जीवन में नदियों का विशेष महत्व है। नदियों ने केवल जमीन को उपजाऊ बनाया है बल्कि जैवविविधता को भी संरक्षित किया है और यहां के जनजीवन को एक अलग पहचान दी है। जिले में कई छोटी-बड़ी नदियां बहती हैं। कुछ नदियों का उद्गम यहीं से होता है, तो कुछ पड़ोसी राज्यों से यहां प्रवेश करती हैं।
जिले में सती नदी (71 किमी), खोब्रागडी नदी (81 किमी), कठाणी नदी (58 किमी), पोहार नदी (49 किमी), दिना नदी (45 किमी) और सबसे बड़ी प्राणहिता नदी (115 किमी) का उद्गम यहीं होता है। इसके अलावा वैनगंगा (169 किमी), गाढवी (45 किमी), पर्लकोटा (43 किमी), पामुलगौतम (40 किमी), इंद्रावती (131 किमी) और गोदावरी (46 किमी) अन्य जिलों व राज्यों से गड़चिरोली में प्रवेश करती हैं।
गड़चिरोली की उत्तर-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व सीमा से वैनगंगा, वर्धा, प्राणहिता, गोदावरी और इंद्रावती जैसी पांच प्रमुख नदियां बहती हैं। वैनगंगा नदी पश्चिमी सीमा से होकर बहती है और चामोर्शी तालुका के चपराला में वर्धा नदी से मिलती है। दोनों का संगम प्राणहिता कहलाता है। आगे चलकर यह नदी सिरोंचा में गोदावरी में मिल जाती है।
इंद्रावती नदी दक्षिण-पूर्व सीमा से होकर बहती है और सिरोंचा तालुका के सोमनूर में गोदावरी से मिलती है। बांडिया, पर्लकोटा और पामुलगौतम नदियां इंद्रावती में मिलती हैं, जबकि गाढवी, खोब्रागडी, कठाणी, वैलोचना और दिना नदियां जिले के उत्तर भाग में बहती हैं। इनमें से पहली चार नदियां वैनगंगा में तथा दिना नदी प्राणहिता में समाहित होती है।
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भामरागड़ में जहां पर्लकोटा, पामुलगौतम और इंद्रावती नदियां मिलती हैं। बरसात में यहां का दृश्य अत्यंत आकर्षक होता है और सूर्योदय-सूर्यास्त नयनरम्य दिखाई देता है। सिरोंचा तालुका के सोमनुर में इंद्रावती, गोदावरी और अदृश्य अंतरवाहिनी नदियों का संगम धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। वहीं आष्टी के समीप चपराला में वैनगंगा और वर्धा नदियों का संगम होता है, जिन्हें मिलाकर प्राणहिता कहा जाता है, और आगे तेलंगाना में जाकर यह गोदावरी से मिलती है।