
यूनुस सरकार पर इस्लामी एजेंडा बढ़ाने के गंभीर आरोप, फोटो (सो. आईएएनएस)
Bangladesh News In Hindi: बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस पर कट्टर इस्लामी एजेंडों को बढ़ावा देने या उन्हें परोक्ष रूप से सक्षम बनाने के आरोप लगाए गए हैं। सोमवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यूनुस प्रशासन के भीतर मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी जमात-ए-इस्लामी और हिज्ब-उत-तहरीर जैसे चरमपंथी संगठनों के प्रभाव में फैसले ले रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, कट्टरपंथी मंच ‘इंकिलाब मंच’ के प्रवक्ता शरिफ उस्मान हादी की हत्या ने सरकार की भूमिका को लेकर नए और गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह आशंका जताई गई है कि इस घटना से सरकार को राजनीतिक रूप से लाभ मिल सकता है, जिससे आने वाले महीनों में देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर चिंता और बढ़ गई है। रिपोर्ट में यह भी सवाल उठाया गया है कि यदि मौजूदा हालात बने रहे तो भविष्य में और कितनी जानें जा सकती हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस्लामी धार्मिक शिक्षा पृष्ठभूमि वाले शरिफ उस्मान हादी पिछले एक साल से लगातार सुर्खियों में थे। वे टीवी बहसों में कट्टरपंथी बयानबाजी, पत्रकारों और राजनीतिक विश्लेषकों के खिलाफ भड़काऊ टिप्पणियों तथा बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम से जुड़े प्रतीकों पर हमलों को लेकर चर्चा में रहे। हादी ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ की अवधारणा का भी समर्थन करते थे जिसमें भारत के कुछ हिस्सों को शामिल करने की बात कही जाती थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, 11 दिसंबर को यूनुस प्रशासन ने 12 फरवरी 2026 को आम चुनाव कराने की घोषणा की थी। इसके तुरंत बाद हादी ने धाका-8 सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान किया। हालांकि, अगले ही दिन दिनदहाड़े एक मोटरसाइकिल सवार हमलावर ने उनके सिर में गोली मारकर हत्या कर दी।
जांच से जुड़े वीडियो फुटेज के आधार पर सामने आया कि हमलावर पहले उसी समूह से जुड़ा हुआ था जिसका हिस्सा कभी हादी भी रहे थे। पुलिस जांच में यह भी पता चला कि आरोपी एक पूर्व निम्न-स्तरीय अवामी लीग छात्र नेता था, जिसे अगस्त 2024 में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद हथियारों के साथ डकैती के मामले में गिरफ्तार किया गया था। बाद में उसे जमानत मिल गई थी।
रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि जब जेलें बुजुर्ग कैदियों से भरी हैं और अदालतें कथित तौर पर कार्यकारी निर्देशों के तहत काम कर रही हैं, तो गंभीर आरोपों वाले एक आरोपी को जमानत कैसे मिल गई। इसके अलावा, यूनुस प्रशासन पर सैकड़ों आतंकवाद से जुड़े मामलों में जमानत देने या आरोप वापस लेने के आरोप भी लगाए गए हैं।
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रिपोर्ट यह भी पूछती है कि क्या हत्यारा उसी कट्टरपंथी नेटवर्क का हिस्सा था जिस पर अंतरिम सरकार भरोसा कर रही है। इसमें यह भी दावा किया गया है कि जुलाई 2024 के विरोध प्रदर्शनों के दौरान कई छात्र नेता दोहरे राजनीतिक और वैचारिक रोल में सक्रिय थे। जमात और अन्य कट्टर संगठनों के कार्यकर्ताओं के अवामी लीग से जुड़े ढांचों के भीतर काम करने के दावे भी सामने आए हैं जिसने बांग्लादेश की राजनीति में अस्थिरता और अविश्वास को और गहरा कर दिया है।






