
विकास के लिए तरस रहे पदिनटोला वासी
Gadchiroli News: भले ही सरकार और प्रशासन राज्य के अंतिम छोर पर बसे आदिवासी गांवों में विकास की गंगा पहुंचाने का दावा कर रहे हों, लेकिन गड़चिरोली जिले का एक गांव आज भी विकास से कोसों दूर है। सरकार और प्रशासन की उदासीनता के कारण पदिनटोला गांव के निवासी आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।
विशेष बात यह है कि यह गांव दुर्गम क्षेत्र में नहीं है। यह गड़चिरोली-धानोरा राष्ट्रीय राजमार्ग से महज एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके बावजूद प्रशासन अब तक यहां नहीं पहुंच पाया है। सरकारी योजनाओं का लाभ ग्रामीणों तक नहीं पहुंचने से लोग नारकीय परिस्थितियों में जीवन व्यतीत करने को विवश हैं। ग्रामीणों ने मांग की है कि शीघ्र ही गांव तक सरकारी योजनाएं और बुनियादी सुविधाएं पहुंचाई जाएं।
पदिनटोला गांव में केवल पांच घरों की एक छोटी सी बस्ती है। सरकार की नीति के अनुसार, जहां भी आबादी हो, वहां बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना प्रशासन का दायित्व है।लेकिन चातगांव ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले इस गांव में अब तक शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंची हैं।
प्रशासनिक उपेक्षा के चलते ग्रामीणों को जंगली इलाके में असुविधाओं के बीच जीवन गुजारना पड़ रहा है।इतना ही नहीं, अब तक इन परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घरकुल भी नसीब नहीं हुआ है। इससे प्रशासन की निष्क्रियता और स्पष्ट रूप से उजागर होती है।
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सरकार और प्रशासन सभी गांवों तक सड़क, बिजली, शिक्षा और पानी जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने की कोशिश में जुटे हैं, लेकिन पदिनटोला गांव इन योजनाओं से अब तक अछूता है। पिछले करीब 100 वर्षों से यहां के निवासी जंगल में जीवन बिता रहे हैं। ग्रामीण केवल मतदान के समय ही बाहर निकलते हैं, बाकी समय पूरे वर्ष जंगल क्षेत्र में ही गुजारते हैं। प्रशासनिक उपेक्षा के कारण उनका जीवन अब भी विकास से अछूता है।






