OBC आरक्षण से छेड़छाड़ हुआ तो होंगे गंभीर परिणाम (सौजन्यः सोशल मीडिया)
गड़चिरोली: ओबीसी आरक्षण में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ या कटौती की गई तो आगामी सभी चुनावों में महायुति सरकार को इसका करारा जवाब मिलेगा, ऐसी तीव्र चेतावनी राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ और अन्य समविचारी ओबीसी संगठनों ने महाराष्ट्र सरकार को दी है।
राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी कार्यालय पर दस्तक देकर जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री समेत अनेक मंत्रियों को ज्ञापन भेजा है।
ज्ञापन में कहा है कि, सामाजिक व शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े (एसईबीसी) वर्ग के लिए 10 प्रश आरक्षण तथा आदिवासी बहुल जिलों में गुट ‘क’ व ‘ड’ संवर्ग की भर्ती के लिए पुनर्निर्धारित आरक्षण व बिंदू नामावली तैयार करने हेतु राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले की अध्यक्षता में एक मंत्री मंडलीय उपसमिति गठित की गई है।
इसके चलते ओबीसी आरक्षण को नुकसान पहुंचने की आशंका बढ़ गई है। सरकार की योजना के अनुसार आदिवासी बहुल 8 जिलों में गड़चिरोली, चंद्रपुर, यवतमाल, नाशिक, धुले, नंदुरबार, रायगड़ व पालघर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षण 7 से बढ़ाकर 24 प्रतिशत किया गया। जिससे ओबीसी सहित एनटी, विजे, एसबीसी वर्गों का आरक्षण घटाया गया।
उदाहरण स्वरूप गड़चिरोली में ओबीसी आरक्षण 6 प्रश, चंद्रपुर में 11 प्रश, यवतमाल में 14 प्रश सीमित किया गया है। साथ ही 9 जून 2014 को राज्यपाल के अधिनियम के अनुसार पेसा क्षेत्र के अंतर्गत इन जिलों में ग्रुप क व ड के 17 संवर्गीय पदों पर 100 प्रश आदिवासी उम्मीदवारों की भर्ती अनिवार्य की गई, जिससे अन्य वर्गों का आरक्षण शून्य हो गया।
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इससे ओबीसी समाज पर अन्याय हो रहा है।राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ ने इस पर कई बार आंदोलन किए, जिसके बाद महाविकास आघाड़ी सरकार ने छगन भुजबन की अध्यक्षता में उपसमिति गठित की और 3 जनवरी 2022 को नई बिंदू नामावली जारी की गई। इसके अनुसार नाशिक, धुले, नंदुरबार, पालघर में ओबीसी आरक्षण 15 प्रश, यवतमाल में 17 प्रश, चंद्रपुर में 19 प्रश तथा गड़चिरोली में 17 प्रश तय किया गया।
अब फिर से SEBC के लिए 10 प्रश आरक्षण लागू किया जा रहा है, जिससे ओबीसी को फिर से नुकसान हो सकता है। महासंघ ने सरकार को चेतावनी दी है कि ओबीसी वर्ग के साथ अन्याय हुआ तो महाराष्ट्र में व्यापक आंदोलन छेड़ा जाएगा और महायुति सरकार को आगामी चुनावों में इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।
ऐसी चेतावनी ज्ञापन में दी है। ज्ञापन सौंपते समय प्रा. शेषराव येलेकर, दादाजी चुधरी, रामकृष्ण ताजणे, पांडुरंग घोटेकर, देवानंद कामडी, डॉ. सुरेश लडके, चंद्रकांत शिवणकर, मंगला कारेकर, डा. दिलीप भोयर, शरद ब्राम्हणवाडे आदि उपस्थित थे।
गड़चिरोली में एसईबीसी की जनसंख्या नगण्य है, फिर भी ओबीसी का आरक्षण घटाकर एसईबीसी को देने का कोई महत्व नहीं है। साथ ही, जब राज्य में किसी भी जिले का उम्मीदवार अन्य जिले में आवेदन कर सकता है, तब स्थानीय ओबीसी वर्ग के अवसर और कम हो जाते हैं। महासंघ ने निवेदन में सरकार से अपील की है कि इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जाए और ओबीसी समाज के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय न किया जाए।