केसीआर और रेवंत रेड्डी (सोर्स- सोशल मीडिया)
गड़चिरोली: वर्तमान में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना तीनों राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्रों में नक्सली गतिविधियां जारी हैं। इसलिए अलर्ट मोड पर काम कर रहे तीनों राज्य नक्सलियों के खिलाफ अपनी पूरी क्षमता से तैयारी कर रहे हैं। हालांकि छत्तीसगढ़ और तेलंगाना इसमें आगे हैं, लेकिन महाराष्ट्र राज्य के अंतिम छोर पर स्थित गड़चिरोली जिले में फिलहाल शांति है।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के राजनीतिक नेताओं द्वारा छत्तीसगढ़ के करेगुट्टा की पहाड़ियों पर ऑपरेशन गरुड़ पर सवाल उठाए जाने के बाद स्थानीय राजनीति गरमा गई है। तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के। चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने माओवादियों की शांति वार्ता का समर्थन किया है और केंद्र व छत्तीसगढ़ सरकार से इस अभियान को तुरंत रोकने की मांग की है। मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने माओवादियों के शांति प्रस्ताव के अनुरूप एक बैठक की।
केसीआर ने तेलंगाना में एक जनसभा में कहा, ‘ऑपरेशन गरुड़ के नाम पर निर्दोष आदिवासी अपनी जान गंवा रहे हैं’ सरकार को युद्ध का नहीं, बल्कि बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए। नक्सलियों ने शांति वार्ता का प्रस्ताव भेजा है। इस पर केन्द्र सरकार ने इस पर कोई सकारात्मक पहल नहीं की है, ऐसा भी आरोप लगाया है। उन्होंने शीघ्र ही एक प्रतिनिधि मंडल गठित कर प्रधानमंत्री को पत्र लिखने की घोषणा भी उन्होंने की है।
वहीं केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार से इस अभियान को तुरंत रोकने की भी मांग की है। केसीआर के बयान के तुरंत बाद तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने नक्सलियों के शांति वार्ता के चर्चा के प्रस्ताव पर वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा शुरू कर दी है। वाईएस राजशेखर रेड्डी की सरकार में गृह मंत्री रहे और नक्सलियों से आमने-सामने बातचीत करने वाले पूर्व मंत्री जना रेड्डी के आवास पर बैठक हुई। लगभग आधे घंटे तक चली बैठक में शांति वार्ता से संबंधित विस्तृत चर्चा हुई। इसके साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता और मानवाधिकार समर्थक भी सक्रिय हो गए हैं।
करेगुट्टा की पहाड़ियों पर ऑपरेशन गरुड़ (कगार) शुरू है, ऐसे में नक्सलियों ने शांति वार्ता के संबंध में दूसरी बार एक पर्चा जारी किया है। यह पर्चा नक्सलियों के केंद्रीय समिति के प्रवक्ता अभय द्वारा जारी किया गया है। इस पर्चे के अनुसार, ‘करेगुट्टा इलाके में नाकाबंदी करके तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से दस हजार सुरक्षा बल के जवानों की तैनाती के साथ तीन दिनों से बड़ा ऑपरेशन चल रहा है।
हम बिना किसी शर्त के शांति वार्ता का प्रयास कर रहे हैं। चूंकि इस स्थिति में ऑपरेशन जारी है, इसलिए शांति वार्ता निरर्थक है। हमने एक बार फिर सरकार से अपील की है। इसने यह भी मांग की है कि शांति वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए छत्तीसगढ़, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में संघर्ष विराम की घोषणा की जाए।
यह देखा गया कि महाराष्ट्र राज्य ने नक्सलवाद के मुद्दे पर हमेशा संयमित रुख अपनाया है। यही स्थिति अभी भी देखी जा रही है। नक्सल प्रभावित जिले का पालकत्व संभालने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नक्सल आंदोलन के खिलाफ कई मुद्दों को सुलझाने में सफल रहे हैं। इसलिए, महाराष्ट्र ने अब इस मुद्दे पर सतर्क रुख अपनाया है और तदनुसार योजना बनाई है।
नक्सलियां को परास्त करने के तहत जिले में इंटरनेट सेवा मजबूत करने हेतु शुरू किए गए 450 किमी लंबाई के ऑप्टिकल फाइबर मरम्मत का कार्य आगामी 3 माह के भीतर पूर्ण करने के निर्देश जिलाधिकारी अविश्यांत पंडा ने दिए। ऑप्टिकल फायबर मरम्मत संदर्भ में जिलाधिकारी कार्यालय में आयोजित बैठक में महाआईटी के महाप्रबंधक मकरंद कुर्तडीकर, सहप्रबंधक नवनीत कुमार, जिला प्रकल्प प्रबंधक सुनील मोकडे तथा स्टरलाइट कंपनी के प्रतिनिधि घनश्याम यादव ने इस संदर्भ में जानकारी पेश की।
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महानेट प्रकल्प अंतर्गत जिले के 6 तहसील के (अहेरी, भामरागड़, एटापल्ली, कोरची, सिरोंचा व धानोरा) प्रत्येक ग्राम पंचायत को ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क द्वारा इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराने का उद्देश्य है। लेकिन अनेक क्षेत्र में बैडविड्थ उपलब्ध नहीं होने से इंटरनेट सेवा शुरू करनं में दिक्कत निर्माण हुई थी। इसके मद्देनजर जिलाधिकारी पंडा ने सरकारी स्तर पर प्रयास करने के बाद राज्यस्तरीय दस्ते ने जिले का दौरा किया। निरीक्षण में 6 तहसील के ऑप्टिकल फाइबर नादुरुस्त पाया गया। इस प्रकल्प अंतर्गत जिले के 6 तहसीलों के ग्राम पंचायत, स्कूल व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) को दर्जायुक्त व शीघ्र इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराया जाने वाला है।