राजुरा की रैली में शामिल आदिवासी समाज के लोग (फोटो नवभारत)
Chandrapur Rajura Tribals Reservation Protest Rally: चंद्रपुर जिले के राजुरा नगरी आज आदिवासी बांधवों के जयघोष से गूंज उठी। आरक्षण हमारा हक है जैसे गगनभेदी नारे और पारंपरिक वाद्यों की गूंज के बीच हजारों की संख्या में आदिवासियों ने विरोध रैली निकाली।भारी बारिश के बीच हजारों की संख्या में आदिवासी एकत्रित हुए।
इस बीच पुलिस और मोर्चे में शामिल युवकों के साथ झडप हुई। बाद में मामले को सुलझा लिया गया। दो पुलिस अधिकारी और एक पुलिस कर्मी के घायल होने पर पुलिस ने आंदोलनकारियों पर मामला दर्ज किया है।
आदिवासी आरक्षण बचाव क्रांति समिति व सभी आदिवासी सामाजिक संगठनों की ओर से आयोजित इस मोर्चे की शुरुआत कर्नल चौक स्थित भिवसन देवस्थान से हुई। संविधान चौक, नाका नं. 3, गांधी चौक, नेहरू चौक, नारायणसिंह उईके चौक होते हुए मोर्चा तहसील कार्यालय पर पहुंचा। तहसील कार्यालय के सामने आयोजित सभा में मोर्चे में शामिल आंदोलनकारियों ने शासन के समक्ष अपनी मांगे रखी।
इस अवसर पर समिति के संयोजक व आदिवासी नेता बापुराव मडावी ने कहा कि आदिवासी आरक्षण बचाव हमारा संवैधानिक और न्यायिक संघर्ष है। बंजारा समाज की आदिवासी आरक्षण की मांग गैरकानूनी और कमजोर है। विमुक्त भटके जमातियों के 3% आरक्षण का लाभ उठाते हुए भी आदिवासियों के घर में सेंध लगाने निकल पड़े हैं।
आदिवासी आरक्षण गरीबी हटाओ का पेटभरू कार्यक्रम नहीं, बल्कि यह हमारे अस्तित्व और संवैधानिक अधिकारों का प्रश्न है। मोर्चे में राजुरा, कोरपना, जिवती, गोंडपिपरी, बल्लारशाह तहसील समेत पूरे जिले से हजारों आदिवासी बांधव पारंपरिक वेशभूषा और वाद्यों के साथ शामिल हुए। तहसीलदार के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया।
आदिवासी नेताओं ने स्पष्ट किया कि आदिवासी समाज की परंपरा, संस्कृति, रूढ़ियां और प्रकृति से नाता जुड़ा हुआ है। जबकि बंजारा समाज का इससे कोई संबंध नहीं है, इसलिए उनकी मांग को आदिवासी समाज पुरजोर विरोध कर रहा है।
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इस विराट उल्गुलान मोर्चे में डॉ. मधुकर कोटनाके, भीमराव पाटिल मडावी, निलकंठराव कोरांगे, शामराव कोटनाके, गजानन पाटिल जुमनाके, अश्विनी कोरांगे समेत समिति अध्यक्ष विजयराव परचाके, परशुराम तोडसाम, नितीन सिडाम, वाघुजी गेडाम, राधा आत्राम, कुंदाताई सलामे, सुभद्रा कोटनाके, अमृत आत्राम, संतोष कुलमेथे, महिपाल मडावी, दशरथ कुडमेथे, आनंद सिडाम, शालिक पेंदोर, रविंद्र आत्राम सहित समाज बांधव बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
रेस्ट हाऊस के सामने मोर्चे में शामिल युवकों के साथ पुलिस की झडप हुई। निवेदन देकर लौटने के बाद मोर्चे में शामिल आंदोलनकारी अपने पारंपारिक वाद्ययंत्र बजा रहे थे। उसी समय परिसर में ट्रैफिक जाम हो गया और युवक वाहनों पर चढ गए। जिन पर पुलिस ने हलका बेंत प्रहार किया। इससे मामला और गंभीर हो गया। युवकों ने पुलिस कर्मियों की कॉलर पकड ली। युवकों को पकडकर पुलिस थाने लाया गया। यहां दोनों पक्षों के बीच मामला सुलझया गया।