मंत्री अशोक उइके को ज्ञापन सौंपते विधायक (सोर्स: सोशल मीडिया)
Dhangar Banjara Reservation Dispute: धनगर और बंजारा समुदाय हैदराबाद गजट के आधार पर अनुसूचित जनजाति से आरक्षण पाने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन, आदिवासी समुदाय द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है। इस बीच आदिवासी विधायक संजय पुराम, विधायक मिलिंद नरोटे, आमश्या पाडवी, राजेंद्र गावित, विधायक लामटे और अन्य विधायकों की ओर से आदिवासी विकास मंत्री डॉ. अशोक उइके को ज्ञापन सौंपा गया।
भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची के अनुसार आदिवासी समुदाय को अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण दिया गया है। लेकिन हाल के दिनों में धनगर और बंजारा समुदाय हैदराबाद गजट के आधार पर अनुसूचित जनजातियों से आरक्षण पाने का प्रयास कर रहे हैं।
आदिवासी समुदाय इसका कड़ा विरोध कर रहा है और हैदराबाद गजट के आधार पर अनुसूचित जनजातियों से आरक्षण देने के प्रयास को तुरंत रोका जाए। किसी भी नए समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने से पहले संवैधानिक प्रक्रिया का पालन करना, न्यायिक दृष्टिकोण अपनाना और आदिवासी समुदाय की राय लेना अनिवार्य होना चाहिए।
सरकार प्रशासन को धनगर, बंजारा समुदायों और अन्य समुदायों की इस मांग को संवैधानिक रूप से खारिज करके इस मुद्दे पर आधिकारिक रुख अपनाना चाहिए। ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण में घुसपैठ बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
राज्य सरकार की आरक्षण नीति को लेकर एक बार फिर विवाद होने की संभावना है। सत्तारूढ़ विधायकों का ज्ञापन उनके बयान के बाद, सभी का ध्यान इस ओर गया है कि सरकार की भूमिका क्या होगी। विधायक संजय पुराम ने कहा कि हैदराबाद गजट आने से कोई भी आदिवासी नहीं बन जाएगा।
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आदिवासी बनने के लिए आदिवासी परिवार में पैदा होना आवश्यक है। बंजारा और धनगर समुदाय चाहे जितना भी आंदोलन करें, उन्हें आदिवासी समुदाय में घुसपैठ नहीं करने दी जाएगी।
हर राज्य का आदिवासी समुदाय अलग होता है और महाराष्ट्र में बिना किसी कारण के किसी को आदिवासी नहीं माना जाएगा। मराठा समुदाय के लिए राजपत्र लागू हो चुका है। इसलिए मराठा समुदाय को गजट के मामले पर स्वयं विचार करना चाहिए। आदिवासी विकास मंत्री अशोक उइके ने ज्ञापन सौंपने वाले विधायकों को आश्वस्त करते हुए स्पष्ट किया कि सरकार पर भरोसा रखें और किसी को भी आदिवासी आरक्षण में दखल नहीं देने दिया जाएगा।