
राज्य में दो लाख पद रिक्त:वामनराव चटप
Chandrapur News: महाराष्ट्र राज्य के बजट में इस वर्ष ₹45,892 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया गया है, जबकि राज्य की राजस्व आय ₹5,60,963 करोड़ रुपये है। वार्षिक व्यय को पूरा करने के लिए ₹6,06,855 करोड़ रुपये की आवश्यकता बताई गई है। वर्तमान में राज्य पर ₹7,82,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। इसके अलावा राज्य सरकार ने हाल ही में ₹13,000 करोड़ रुपये का नया कर्ज लिया है और ₹1,32,000 करोड़ रुपये केंद्र सरकार से मांगे हैं।
विदर्भ राज्य आंदोलन समिति के नेता और पूर्व विधायक एडवोकेट वामनराव चटप ने आरोप लगाया कि इतने भारी कर्ज की अनुमति मांगना इस बात का प्रमाण है कि राज्य आर्थिक रूप से दिवालिया होने की कगार पर है। उन्होंने यह जानकारी राजुरा में आयोजित पत्रकार परिषद में दी। सूचना के अधिकार (RTI) के तहत प्राप्त आंकड़ों में भी राज्य की गंभीर वित्तीय स्थिति उजागर हुई है।
एडवोकेट चटप ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में राज्य के बजट में 67 प्रतिशत की कटौती की गई है। पिछले 11 वर्षों से अनुकंपा भर्ती, तथा 10 वर्षों से वर्ग 3 और वर्ग 4 की भर्ती बंद है। साथ ही, 4 मई 2020 से सार्वजनिक स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा और औषधि विभाग को छोड़कर अन्य सभी विभागों में नई भर्ती पर रोक लगी हुई है।
वर्तमान में राज्य में 2 लाख 59 हजार पद रिक्त हैं। इनमें से 2 लाख 47 हजार पदों का बैकलॉग केवल विदर्भ क्षेत्र में है। चटप ने कहा कि सरकार के पास कर्मचारियों को वेतन देने की सुविधा नहीं है, इसलिए युवाओं को रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र के युवाओं को रोजगार केवल पृथक विदर्भ राज्य बनने पर ही प्राप्त होगा।
चटप ने विपक्षी दलों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि विदर्भ राज्य की मांग पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने कहा कि “विदर्भ के स्वतंत्र राज्य के लिए संघर्ष में विफल रहने वाले 10 सांसदों को पद से इस्तीफा देना चाहिए।”
एडवोकेट चटप ने कहा कि यदि विदर्भ राज्य अलग बनाया गया, तो 100 प्रतिशत नौकरियाँ विदर्भ के युवाओं को मिलेंगी। राज्य गठन के बाद माध्यमिक सेवा मंडल और विभिन्न निगम गठित होंगे,सभी बांध दो वर्षों में पूरे किए जा सकेंगे,कृषि सिंचाई 80 प्रतिशत तक बढ़ाई जा सकेगी, और औद्योगिक निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने बताया कि विदर्भ में बिजली उत्पादन की लागत केवल ₹2.40 प्रति यूनिट है। इससे बिजली दरों में कमी आएगी, कृषि पंपों की लोडशेडिंग समाप्त होगी और किसानों को पूर्णकालिक बिजली मिल सकेगी।
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वर्तमान में विदर्भ में उत्पादित 7,200 मेगावाट बिजली में से केवल 2,200 मेगावाट ही क्षेत्र को मिलती है, जबकि 58 प्रतिशत कृषि पंपों का बैकलॉग है। अलग राज्य बनने के बाद किसानों को मुफ्त बिजली और उद्योगों को आधी दर पर बिजली उपलब्ध कराई जा सकेगी।
चटप ने बताया कि विदर्भ में सिंचाई क्षेत्र में ₹60,000 करोड़ और स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, उद्योग तथा ग्रामीण विकास में ₹15,000 करोड़, इस प्रकार कुल ₹75,000 करोड़ रुपये का विकास बैकलॉग है।






