कोर्ट ने वेकोलि को लगाई फटकार। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
चंद्रपुर: चंद्रपुर जिले के दुर्गापुर कोयला खनन क्षेत्र में जैव विविधता को बहाल करने के लिए पिछले 20 वर्षों में क्या कदम उठाए गए हैं? बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने वेस्टर्न कोल फील्ड लिमिटेड कंपनी (वेकोलि) से यह सवाल पूछा है और उसे 25 जून तक इस पर हलफनामा पेश करने का आदेश दिया है।
साथ ही, इस मुद्दे पर वेकोलि क्षेत्र में चर्चा हो रही है क्योंकि चेतावनी दी गई है कि यदि हलफनामे में दी गई जानकारी असंतोषजनक पाई गई तो वेकोलि के हित के खिलाफ आदेश जारी किया जाएगा। अदालत ने यह आदेश सोमवार, 28 अप्रैल को दिया है। चंद्रपुर के याचिकाकर्ता दीपक दीक्षित ने सोमवार को यह जानकारी दी।
पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था प्रकृति फाउंडेशन चंद्रपुर के अध्यक्ष दीपक दीक्षित ने 2023 में दुर्गापुर कोयला खदान के विस्तार के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति नितिन साम्ब्रे और न्यायमूर्ति वृषाली जोशी के समक्ष हुई। इस बीच, याचिकाकर्ताओं के वकील एडवोकेट महेश धात्रक ने वेकोलि के मनमाने प्रबंधन की ओर न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया। दुर्गापुर कोयला खदान के लिए 1,364.64 हेक्टेयर क्षेत्र आवंटित किया गया है, और अधिकांश क्षेत्र से कोयला निकाला जा चुका है।
संबंधित क्षेत्र पशुधन के लिए अनुपयोगी हो गया है। हालाँकि, एडवोकेट धात्रक ने आरोप लगाया है कि उस क्षेत्र में जैव विविधता अभी तक बहाल नहीं हुई है। इसे ध्यान में रखते हुए, न्यायालय ने उपरोक्त आदेश जारी करते हुए कहा कि कोयला खनन क्षेत्र, जहां से कोयला निकाला जाता है, वहां जैव विविधता को बहाल करना कोयला कंपनी की प्राथमिक जिम्मेदारी है।
दुर्गापुर कोयला खदान से प्रदूषित पानी मोटाघाट नाले में छोड़ा जा रहा है। यह धारा इरई नदी से मिलती है। इसके कारण इरई नदी प्रदूषित हो रही है। चंद्रपुर के निवासियों को पीने के लिए इरई का पानी उपलब्ध कराया जाता है। परिणामस्वरूप, उनका स्वास्थ्य खतरे में पड़ जाता है। इसके लिए महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वेकोलि को नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है और कोर्ट ने इस मामले में भी वेकोलि से स्पष्टीकरण मांगा है।
पिछले चार महीनों में राज्य में 21 बाघों की मौत हो चुकी है। इनमें से कुछ बाघों की मृत्यु के लिए मानव-पशु संघर्ष जिम्मेदार है। याचिकाकर्ता दीक्षित ने आशंका व्यक्त की है कि दुर्गापुर खदान का विस्तार इस संघर्ष को और बढ़ा देगा।