
झाड़ीपट्टी नाटक (सौजन्य-नवभारत)
Chandrapur News: झाड़ीपट्टी नाटकों पर सैंकडों परिवारों की गुजर बसर निर्भर है। परंतु इस बार झाडीपट्टी के कलाकार और उनके मंडल सहमें हुए है। आगामी जिला परिषद और पंचायत समिति की चुनावी आचार संहिता से यह नाटकों का लोकोत्सव प्रभावित होने को लेकर झाडीपट्टी में चिंता का माहौल है।
दिवाली खत्म होते ही चंद्रपुर जिले के नाटकप्रिय क्षेत्रों में झाडीपट्टी नाटकों की धूम मचनेवाली है। इसकी तैयारियां पूरी हो गई है और मार्च माह तक यह जिले के साथ समूचे पूर्व विदर्भ में चलते रहेंगे। चंद्रपुर के सिंदेवाही नवरगांव से ब्रम्हपुरी तक झाड़ीपट्टी नाटकों का मौसम शुरु होगा। इसके लिए विविध झाडीपट्टी नाटक मंडलों ने अपने सालभर का कार्यक्रम तैयार कर लिया है।
अखिल झाड़ीपट्टी नाट्य विकास मंडल ने पेशेवर नाटक प्रस्तुत करने वाली 60 कंपनियों को पंजीकृत किया है। दिवाली से लेकर मार्च के अंत तक, नाटक ग्रामीण क्षेत्रों में प्रस्तुत किये जाते हैं। झाडीपट्टी के नाटक पूर्वी विदर्भ के गड़चिरोली, चंद्रपुर, भंडारा और गोंदिया में प्रस्तुत किए जाते हैं। यह रंगमंच अब महाराष्ट्र की सीमाओं को तोड कर दूसरे राज्यों तक पहुंच गया है।
झाड़ीपट्टी रंगमंच में थिएटर प्रयोग के लिए लगभग 60 थिएटर कंपनियों को शामिल किया गया है। चंद्रपुर जिले में सिंदेवाही, नागभीड, ब्रम्हपुरी और नवरगांव इसके केंद्र है। इन सभी मंडलों का मुख्यालय गड़चिरोली जिले के वडसा में स्थित है। दिवाली के बाद ग्रामीण इलाकों में मंडई उत्सव शुरू होता है।
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झाडीपट्टी नाटक केवल ग्रामीण मनोरंजन की कला नहीं बल्कि पूर्व विदर्भ की सांस्कृतिक धरोहर है। अपनी प्रस्तुतियों से समाज को आईना दिखाकर उनका प्रबोधन करनेवाली यह परंपरा कई वर्ष पुरानी है। अब ग्रामीणों की भी इससे आस्था जुड गयी है। ऐसे में यह झाडीपट्टी नाटक पूर्व विदर्भ के लोगों मनोरंजन जीवन का हिस्सा बन गए है।
झाडीपट्टी के सैंकडों कलाकारों के परिवार इन 5 महिनों में होनेवाले नाटकों पर चलते है। परंतु इस बार चुनावी आचार संहिता से सभी सहमे हुए है। नाटकों का मंचन रातभर होता है। ऐसे में कलाकारों के साथ उनके सामग्री जत्थों को परेशानी हो सकती है। हम राजनीतिक लोगों से परे इन नाटकों का मंचन करने तैयार है। परंतु हमे सहयोग की भूमिका से आश्वस्त कराना होगा।






