बैठक में मौजूद मंत्री पंकज भोयर व शिक्षा विभाग के अधिकारी (सोर्स: एक्स@DRPANKAJBHOYAR)
Agricultural Education In School: राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 और राज्य पाठ्यक्रम रूपरेखा स्कूली शिक्षा 2024 में ‘व्यवसाय शिक्षा की नवकल्पना’ प्रस्तुत की गई है। महाराष्ट्र में 2025-26 सत्र से पहली कक्षा के पाठ्यक्रम में कार्य शिक्षा विषय के अंतर्गत कृषि शिक्षा को शामिल किया गया है। अगले शैक्षणिक वर्ष से चरणबद्ध तरीके से दसवीं कक्षा तक के पाठ्यक्रम में कृषि विषय का समावेश किया जाएगा।
इस संबंध में विभाग को क्रियान्वयन करने के निर्देश शालेय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. पंकज भोयर ने दिए। शालेय पाठ्यक्रम में कृषि विषय शामिल करने को लेकर मंत्रालय में शालेय शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. पंकज भोयर की अध्यक्षता में बैठक हुई।
राज्यमंत्री डॉ. भोयर ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुसार राज्य पाठ्यक्रम रूपरेखा 2024 तैयार की गई है। उसके अनुसार स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम 2025 का कार्य अंतिम चरण में है।
इस बैठक में शालेय शिक्षा विभाग के उपसचिव तुषार महाजन, माध्यमिक शिक्षा निदेशक महेश पालकर, सहनिदेशक हारून अत्तर, राज्य शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के वरिष्ठ प्राध्यापक आरएन वाकड़े उपस्थित थे।
राज्यमंत्री डॉ. पंकज भोयर ने कहा कि कक्षा 6वीं से 10वीं तक के छात्रों को परसबाग, जैविक खेती, मोटे अनाज का उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, बांस का उपयोग, पालतू पशुओं का पोषण, कुक्कुट पालन, पर्यटन एवं आतिथ्य, जल प्रबंधन के लिए पानी का ऑडिट, जैव विविधता पंजीकरण, बिना ईंधन का खाना पकाना इत्यादि विषय उपलब्ध कराए जाएं। खेती जैसे परंपरागत विषय में नई तकनीक से परिचित कराते हुए छात्रों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित संसाधनों का उपयोग कैसे करना है, इसका भी पाठ्यक्रम में समावेश होना चाहिए।
आज दिनांक २६ सप्टेंबर २०२५ रोजी मंत्रालयीन दालन, मुंबई येथे शालेय अभ्यासक्रमात कृषी अभ्यासक्रम समाविष्ट करण्याबाबत महत्त्वपूर्ण बैठक पार पडली. या बैठकीला शालेय शिक्षण विभागाचे उपसचिव तुषार महाजन, तर दुरदृष्य प्रणालीद्वारे माध्यमिक शिक्षण संचालक महेश पालकर, सहसंचालक हारून आत्तार ,… pic.twitter.com/cyiGGV4Dzf — Pankaj Rajesh Bhoyar (@DRPANKAJBHOYAR) September 26, 2025
इस नए पाठ्यक्रम में 03 से 08 वर्ष के बच्चों के लिए कार्य शिक्षा विषय के अंतर्गत आधारभूत शिक्षा पाठ्यक्रम कौशल के साथ 21 वीं सदी के महत्वपूर्ण कौशल तथा कृषि, पर्यटन जैसे व्यवसाय का आधार भी प्रारंभिक स्तर से ही समाविष्ट किया जाए।
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भारतीय संस्कृति की जड़ें मजबूत करने के लिए स्थानीय त्यौहार, समारोह, परंपराएं, कला, फसलें, भौगोलिक रचना, उपलब्ध साधन सामग्री आदि का विचार कार्य शिक्षा विषय की गतिविधियों की रूपरेखा तैयार करते समय किया जाना चाहिए।
राज्यमंत्री डॉ. भोयर ने कहा कि भारत में कृषि का महत्व, कृषि क्षेत्र में निवेश, लोक जीवन में खेती का विशेष स्थान इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए नई पीढ़ी को कृषि क्षेत्र से जोड़ने के साथ ही कृषि क्षेत्र में तकनीक का विस्तार हो, इसके लिए मिट्टी, पानी, प्राकृतिक संसाधन, वनस्पति, स्थानीय पशु-पक्षी आदि विषयों से संबंधित नए उपक्रम सुझाए जाने चाहिए।