आखिर प्रभाग संरचना कार्यक्रम घोषित (सौजन्यः सोशल मीडिया)
भंडारा: नगर विकास विभाग ने राज्य की नगर परिषदों, नगर पंचायतों तथा ‘ड’ श्रेणी की 19 महापालिकाओं के प्रभाग-वार्डों का अंतिम निर्धारण करने के आदेश दिए हैं। इसके अनुसार नगर परिषदों में 2 सदस्यीय, नगर पंचायतों में एक सदस्यीय तथा महापालिकाओं में चार सदस्यीय वार्ड पद्धति तय की गई है। इस अनुसार वार्डों का पुनर्गठन किया जाएगा और इसकी पूरी जिम्मेदारी जिलाधिकारियों को सौंपी गई है। नगर पालिकाओं में 2 सदस्यीय वार्ड पद्धति होनी है, इस हिसाब से भंडारा, साकोली, तुमसर और पवनी नगर पालिका में एक प्रभाग में दो वार्ड हो सकते हैं।
फिलहाल नगरपालिकाओं में पिछले 3 वर्षों से प्रशासक राज चल रहा है। अब सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार नगर विकास विभाग ने नगर परिषदों के मुख्य अधिकारियों को प्रारूप वार्ड संरचना तैयार कर जिलाधिकारी को भेजने का निर्देश दिया है।
इसके लिए 8 चरण तय किए गए हैं, जिनमें प्रगणक समूह व्यवस्थित करना 11 से 16 जून तक, ड्राफ्ट वार्ड संरचना तैयार करना 17-18 जून, कार्यस्थल का निरीक्षण करना 19 से 23 जून, गूगल मैप पर प्रभाग के मानचित्र तैयार करना 24 से 26 जून, मानचित्र में दिखाई गई प्रभाग की सीमा पर जाकर जांच करना 27 से 30 जून, प्रारूप प्रभाग संरचना के मसौदे पर समिति के हस्ताक्षर 1 से 3 जुलाई, प्रारूप प्रभाग संरचना का प्रस्ताव राज्य चुनाव आयोग को भेजना 4 से 8 जुलाई, राज्य चुनाव आयोग की ओर से वार्ड संरचना का प्रारूप अनुमोदन होगा।
प्रारूप प्रभाग संरचना प्रसिद्ध करने व उस पर आपत्तियां व सुझाव आमंत्रित करना 15 से 21 जुलाई, प्राप्त आपत्तियां व सुझाव पर सुनवाई 22 से 31 जुलाई, अंतिम प्रभाग संरचना राज्य चुनाव आयोग को मान्यता के लिए भेजना 1 से 7 अगस्त तक, राज्य चुनाव आयुक्त की ओर से मंजूर की गई प्रभाग संरचना अधिसूचना से प्रसिद्ध करना 22 अगस्त से 1 सितंबर है। वार्ड संरचना करते समय नगर परिषद की कुल जनसंख्या को विभाजित कर औसत जनसंख्या निर्धारित की जाएगी।
नगर परिषद चुनाव के प्रभाग रचना का शेड्यूल जारी, अक्टूबर में चुनाव की संभावना
इस पूरी प्रक्रिया में कम से कम दो से ढाई महीने का समय लगेगा। इसी आधार पर कहा जा रहा है कि नगर पालिकाओं के चुनाव नवंबर माह में संभव हैं। बता देना होगा कि जिले की नगर पालिकाओं में प्रभाग संरचना पहले ही की गई थी। इसलिए नई प्रभाग संरचना से अधिक फर्क नहीं पड़ेगा। थोड़ा बहुत इधर-उधर होगा ऐसा माना जा रहा है। फिर भी नए प्रभाग कैसे और किस तरह से बनते हैं इस बारे में अभी से अंदाजा लगाना उचित नहीं होगा।
कुल सदस्य संख्या को संबंधित वार्ड से चुने जाने वाले सदस्य संख्या से गुणा करके एक वार्ड में शामिल की जाने वाली औसत जनसंख्या निश्चित की जाएगी। किसी वार्ड की जनसंख्या, उस वार्ड की औसत जनसंख्या से 10 प्रतिशत कम या अधिक रखी जा सकेगी। ओबीसी, महिला आरक्षण का चक्रानुक्रम; एससी, एसटी के लिए पहले की ही संरचना कायम रहेगी। यदि पुरानी वार्ड संरचना ही कायम रहती है तो लगातार दूसरी बार चुनाव होने के कारण ओबीसी और सामान्य वर्ग, दोनों ही वर्गों की महिलाओं के आरक्षण का पुनर्निर्धारण करना होगा।
वार्डवार बढ़े हुए मतदाताओं का पुनर्विभाजन किया जाएगा और इसके लिए पिछली चुनाव में बनी अंतिम मतदाता सूची को आधार बनाया जाएगा। अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के आरक्षण का निर्धारण जनसंख्या के घटते क्रम के अनुसार ही होगा। बीरहाल कार्यक्रम घोषित होने से इच्छुकों ने अपनी निगाहें बदलते घटनाक्रम पर लगा रखी हैं।
वार्ड संरचना की प्रक्रिया उत्तर से शुरू होकर दक्षिण की ओर पूरी की जाएगी। भौगोलिक एकता रखी जाएगी तथा सड़कें, नदियाँ, रेल मार्ग एवं प्राकृतिक सीमाओं का विचार कर सीमांकन किया जाएगा। कोई भी इमारत दो अलग-अलग वार्डों में विभाजित नहीं की जाएगी, इसका विशेष ध्यान रखा जाएगा। यह प्रक्रिया पारदर्शी, न्यायसंगत और निडर वातावरण में पूरी हो, इसके लिए विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश राज्य सरकार ने दिए हैं। वार्ड संरचना से संबंधित गोपनीयता भंग करने वाले अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी, ऐसा स्पष्ट चेतावनी आदेश में दी गई है।