फिर बारिश से फसलें खतरें में (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Bhandara Farmers: भंडारा जिले में मौसम ने एक बार फिर करवट बदल ली है। आसमान में छाए बदरिले बादल और हो रही बारिश ने किसानों की चिंता और बढ़ा दी है। वहीं खेतों में कटाई के इंतजार में पड़े धान पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। शुक्रवार, 24 अक्टूबर की दोपहर करीब 3:15 बजे जिले के कई इलाकों में बारिश ने अचानक दस्तक दी। कुछ ही देर में तेज वर्षा ने पूरे क्षेत्र को भिगो दिया। लाखनी तहसील के कई गांव इसकी चपेट में आए। भंडारा शहर में दोपहर से ही बादलों का डेरा था, शाम को हल्की बूंदाबांदी हुई और रात करीब 8:45 बजे बारिश ने फिर अपना असर दिखाया।
दूसरे दिन शनिवार, 25 अक्टूबर की सुबह 6:45 बजे भी हल्की बारिश शुरू हुई, जो कुछ समय तक जारी रही। दोपहर होते-होते कई हिस्सों में फिर से बारिश का दौर देखने को मिला। इन दिनों जिले में फसल कटाई और मड़ाई का काम तेज़ी से चल रहा है। कई खेतों में धान काटकर रखा गया है, जबकि कुछ खेतों में धान कटाई के लिए तैयार खड़ा है। ऐसे में बार-बार हो रही बारिश से किसानों की नींद उड़ गई है। पिछले महीने हुई भारी वर्षा से पहले ही धान की फसल को बड़ा नुकसान हुआ था, अब इस वापसी बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर फिर पानी फेर दिया है।
कई जगह हल्की किस्म के धान की बालियाँ झुककर पानी में समा गई हैं, वहीं 135 दिनों में पकने वाली मध्यम किस्म की फसल भी खेतों में गिरकर जलमग्न हो चुकी है। बार-बार हो रही बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। खेतों में कटाई के लिए तैयार फसलें अब भीगने से किसान परेशान होने लगे हैं। उत्पादन में भारी कमी की आशंका जताई जा रही है। किसानों का कहना है कि अगर बारिश यूं ही जारी रही, तो खरीफ सीजन की पूरी मेहनत पर संकट मंडरा जाएगा।
कुल मिलाकर, भंडारा जिले में बदरिले मौसम ने एक बार फिर किसानों की उम्मीदों को धुंधला कर दिया है और अब हर किसान की नज़र आसमान पर टिकी है कि वरुणराजा कब मेहरबान होंगे। पहले सोयाबीन और कपास की फसलें संकट से जूझ रही थीं, अब धान पर भी वरुणराजा की दोहरी मार पड़ी है। लगातार हो रही वर्षा से खेतों में पानी भर गया है और फसलें गिरने लगी हैं। लाखनी तहसील समेत कई क्षेत्रों में सब्जियों और अन्य खरीफ फसलों को भी नुकसान पहुंचा है।
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अतिवृष्टि और लगातार बारिश से खरीफ मौसम में किसानों की फसलें भारी नुकसान झेल चुकी हैं। इस बीच, प्रशासन की ओर से मुआवजे के नाम मात्र सहायता ही दी जाती है।अभी तक सहायता कहां अटकी किसी को नहीं मालूम। अक्सर सैकड़ों किसानों को अपात्र घोषित कर दिया जाता है, जिससे किसान खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं।पिछले मौसम में हुई भारी बारिश और अतिवृष्टि के कारण कई खेतों में फसलें बर्बाद हो गई थीं, लेकिन प्रभावित किसानों को अब तक कोई संतोषजनक मुआवजा नहीं मिला। किसानों का कहना है कि सरकार के आश्वासनों के बावजूद राहत राशि समय पर नहीं पहुंची, जिससे उनकी चिंता और बढ़ गई है।अब हाल ही में हुई बारिश और वापसी की वर्षा ने फसलों को फिर से नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में किसानों की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं और वे प्रशासन से तत्काल मदद की उम्मीद कर रहे हैं।