
राज-उद्धव के साथ आने से बमबम हुए एकनाथ शिंदे, निकाय चुनाव से पहले टेंशन में BJP!
Maharashtra Local Body Elections: महाराष्ट्र में निकाय चुनावों की घोषणा जल्द ही होने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में सभी राजनीतिक दल इसकी तैयारी में जुट गए हैं। विधानसभा चुनावों में महायुति को मिली बड़ी जीत के बाद तीनों दल—बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी—के बीच जबरदस्त तालमेल देखने को मिल रहा है। इसलिए अनुमान है कि कई जगहों पर महायुति के तीनों घटक दल आमने-सामने होंगे। वहीं ठाकरे बंधु, राज और उद्धव, एक साथ आने की दिशा में बढ़ रहे हैं। ऐसे में महायुति को कुछ नगर पालिकाओं में कड़ी चुनौती झेलनी पड़ सकती है। इस समीकरण को देखते हुए महायुति में “बड़े भाई” बीजेपी ने सावधानी भरा रुख अपनाया है।
विधानसभा चुनावों में हार के बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे को गठबंधन की आवश्यकता महसूस हुई। दोनों ने ठाकरे ब्रांड को पुनर्जीवित करने की कोशिशें तेज कर दी हैं। पिछले कुछ महीनों में दोनों नेताओं की मुलाकातें बढ़ गई हैं। अगर ठाकरे आपस में गठबंधन करते हैं, तो इसका सबसे बड़ा असर मुंबई में दिखाई देगा। अगर मराठी मतदाता ठाकरे के पक्ष में एकजुट होते हैं, तो बीजेपी और शिंदे सेना के लिए स्थिति आसान नहीं होगी। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गढ़ ठाणे में, शिवसेना (यूबीटी) और मनसे ने रैलियां आयोजित करना शुरू कर दिया है। दोनों पार्टियों के नेता और कार्यकर्ता गठबंधन की भावना के साथ सड़कों पर उतर आए हैं। यही वजह है कि बीजेपी ने इन इलाकों में अपेक्षाकृत नरम रुख अपनाया है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दिवाली के अवसर पर अपने वर्षा स्थित आवास पर पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत की। इस दौरान उन्होंने भरोसा जताया कि मुंबई नगर निगम चुनाव में बीजेपी 100 से अधिक सीटें जीत सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी सिर्फ संख्याबल के आधार पर महापौर पद का दावा नहीं करेगी। फडणवीस ने कहा कि “अगर हमारे पास बहुमत हुआ, तब भी मैं महापौर पद पर दावा नहीं करूंगा।” उन्होंने संकेत दिया कि महापौर शिंदे की पार्टी से भी हो सकता है। इसलिए उद्धव ठाकरे के गढ़ माने जाने वाले मुंबई में बीजेपी रणनीतिक रूप से दो कदम पीछे हटी हुई दिख रही है। फडणवीस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि बीजेपी के पार्षद कम भी चुने गए, तो भी शिंदे की सेना को महापौर पद दिया जा सकता है। ठाकरे भाइयों की बढ़ती नजदीकियों का फायदा शिंदे को मिलता दिखाई दे रहा है।
फडणवीस ने मुंबई समेत अन्य नगर निगमों की स्थिति पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) की 9 में से 4 नगर निगमों में बीजेपी, शिवसेना के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी। ठाणे में गठबंधन का फैसला एकनाथ शिंदे लेंगे, जबकि नवी मुंबई में निर्णय गणेश नाइक के हाथों में होगा। चर्चा है कि फडणवीस ने ठाणे में शिंदे और उनकी पार्टी को नेतृत्व करने की अनुमति दे दी है। पिछली नगर निगम चुनाव में शिवसेना और बीजेपी ने ठाणे में अलग-अलग चुनाव लड़ा था। उस वक्त शिंदे ने शिवसेना की ओर से मोर्चा संभाला था और 67 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी को केवल 23 सीटों से संतोष करना पड़ा था।
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बीजेपी के नेता, विधायक और कार्यकर्ता यह मांग कर रहे हैं कि पार्टी ठाणे में स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़े। मंत्री गणेश नाइक और विधायक संजय केलकर इस मुद्दे पर सबसे अधिक जोर दे रहे हैं। उनका नारा है—“अबकी बार 70 पार।” लेकिन ठाणे में महाविकास अघाड़ी की एकजुटता और मनसे से मिल रहे समर्थन को देखते हुए बीजेपी ने सतर्क रुख अपनाया है। सूत्रों का कहना है कि ठाणे की जिम्मेदारी शिंदे को सौंपी गई है। शिंदे को मुंबई और ठाणे दोनों जगह ठाकरे बंधुओं की एकता का सीधा फायदा मिलता नजर आ रहा है।






