धान की फसल सड़ रही (फोटो नवभारत)
Bhandara News In Hindi: भंडारा जिले में धान की कुटाई शुरू हो गई, तभी अचानक लौटती बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। नतीजतन दिवाली पर किसानों के सामने संकट के बादल मंडराने लगे हैं। खेतों में खड़ी फसलें पानी में डूब गई हैं, जिससे धान सड़ने लगा है और उत्पादन व गुणवत्ता दोनों पर असर दिखाई दे रहा है।
इसके साथ ही कीट व रोगों का प्रकोप भी बढ़ गया है, जिससे किसानों की चिंता और बढ़ गई है। बारिश से हल्के किस्म के धान का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। फसलें जमीन पर गिर गई हैं और खेतों में पानी भरा है। मौसम में आई नमी से कीड़े-मकौड़ों और तुडतुड्या जैसी बीमारियों ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है।
धान बिक्री पर निर्भर किसानों की आर्थिक स्थिति अब डगमगाने लगी है। परिपक्व धान खेतों में ही सड़ने लगा है, जबकि सरकारी सर्वेक्षण तो शुरू है, लेकिन मुआवजे की उम्मीद दिवाली से पहले पूरी होती नजर नहीं आ रही। ऐसे में किसानों को इस बार सादगीपूर्ण दिवाली मनानी पड़ेगी। नए कपड़े, मिठाइयाँ और घर की सजावट जैसे खर्चों पर रोक लगानी पड़ेगी।
भंडारा जिले में अधिकांश किसानों ने हल्की और मध्यम किस्म की धान फसल बोई थी। हल्की फसल पूरी तरह बारिश से चौपट हो गई, जबकि मध्यम फसल पर कीट और रोगों का हमला जारी है। परसवाड़ा के किसान देवचंद सोंदरकर के खेत में धान अब भी पानी में डूबा है और सड़ रहा है। आसपास के खेतों में भी खोडकिडा और तुडतुड्या रोग का असर दिख रहा है, जिससे नुकसान बढ़ने की आशंका है।
परसवाड़ा के किसान प्रदीप (पिंटू) हूड ने कहा कि 4-5 एकड़ में मेरा धान का खेत बारिश के पानी में डूबा हुआ है, बाकी फसल पर मावा और करपा रोग लग गया है। बडा नुकसान हुआ है। सरकार को किसानों की समस्याओं पर ध्यान देकर नुकसान भरपाई व कर्जमाफी घोषित करनी चाहिए।
सानगडी जिला परिषद सदस्य नारायण वरठे ने कहा कि अकाल बारिश और मौसम बदलाव से धान पर कई रोग लग गए हैं। उत्पादन पर इसका असर साफ है। किसान मजबूरी में फसल व्यापारियों को बेचते हैं। सरकार को गारंटी मूल्य के केंद्र जल्द शुरू करने चाहिए और नुकसान सर्वेक्षण पारदर्शी तरीके से करना चाहिए।
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धनेगांव के पूर्व सरपंच छगनलाल पारधी ने बताया कि सिहोरा क्षेत्र में सैकड़ों हेक्टेयर धान फसल पानी में डूबी है। धान की लोंबियाँ सड़ रही हैं। किसानों की आजीविका पर संकट है। सरकार को गीला अकाल घोषित कर सभी प्रभावित किसानों को मुआवजा देना चाहिए।
दिघोरी (बड़ी) के सरपंच विजय खोबरागडे ने कहा कि दिवाली के पूर्व लौटती बारिश ने धान फसल को चौपट कर दिया। भारी किस्म की धान फसल पर भी रोगों का साया है। प्रशासन को तत्काल पंचनामा कर मुआवजा देना चाहिए।
सानगडी के किसान मार्कंड रंभाड ने कहा कि मेरे पास पौन एकड़ जमीन है और पाँच एकड़ पट्टे पर ली है। करीब डेढ लाख रुपये खर्च हुआ, पर बारिश से भारी नुकसान हुआ है। तुडतुड्या कीट के प्रकोप से धान भर नहीं रहा है। उत्पादन घटने की उम्मीद है।