बारिश के सड़कें खराब
Bhandara News In Hindi: भंडारा में हर साल बारिश के मौसम में सड़कें क्षतिग्रस्त होना आम बात है। तेज बारिश के कारण सड़कें उखड़ जाती हैं, डामर बह जाता है और जगह-जगह गड्ढे बन जाते हैं। इस बार हालांकि अब तक बहुत तेज बारिश नहीं हुई है, फिर भी जिले की अनेक सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई है।
जिला परिषद के अधीन आने वाले लोकनिर्माण विभाग के भंडारा उपविभाग में अब तक 52 सड़कों के क्षतिग्रस्त होने की जानकारी सामने आई है। जुलाई माह में 35 और अगस्त माह में अब तक 17 सड़कें क्षतिग्रस्त बताई गई हैं।
इसमें से केवल जुलाई के शुरुआती दिनों में हुई बारिश से जो सड़कें खराब हुई थीं, उनकी मरम्मत के लिए विभाग ने प्रस्ताव भेजा है। यह प्रस्ताव 8 से 11 जुलाई के बीच हुई बारिश से प्रभावित 9 सड़कों को सुधारने के लिए तैयार किया गया है।
इन सड़कों के मरम्मत कार्य पर लगभग 1.05 करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान व्यक्त किया गया है। मगर अभी तक इस प्रस्ताव को लेकर शासन स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। न तो मंजूरी मिली है और न ही मांगी गई धनराशि जारी की गई है। अगस्त माह में जो सड़कें क्षतिग्रस्त हुई हैं, उनके लिए अब तक कोई प्रस्ताव ही तैयार नहीं किया गया है।
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लोगों को आने-जाने में भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है।बरसात शुरू होते ही सड़कों की परत उखड़ जाती है। जगह-जगह गड्ढे बन जाते हैं और सड़कें नाले का रूप लेने लगती हैं। गांवों को शहर से जोड़ने वाली सड़कें टूटी हों तो किसानों को खेत तक पहुंचने में दिक्कत होती है। स्कूली बच्चों को समय पर स्कूल पहुंचना कठिन हो जाता है।
बीमार लोगों को अस्पताल तक लाने-ले जाने में भी बाधा उत्पन्न होती है। इस बार अब तक औसत बारिश हुई है, इसके बावजूद 52 सड़कें मामूली तौर पर खराब हो चुकी है। यदि आने वाले दिनों में भारी वर्षा हुई तो सड़कों की स्थिति और भी बदतर हो सकती है। ऐसे में, मरम्मत कार्य के लिए धन की त्वरित उपलब्धता जरूरी है।
अधिकांश मामलों में सड़क मरम्मत के लिए धनराशि के प्रस्ताव तैयार करने और उनकी मंजूरी मिलने में काफी समय लग जाता है। जब तक रकम मंजूर होती है, तब तक सड़कें और अधिक खराब हो जाती हैं। फिर मरम्मत का खर्च भी दोगुना-तिगुना हो जाता है। यही वजह है कि हर साल सड़क सुधार कार्य अधूरे रह जाते हैं और जनता को केवल आश्वासन पर ही गुजारा करना पड़ता है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि बरसात से पहले ही सड़कों की स्थिति का सर्वेक्षण कर लेना चाहिए और कमजोर सड़कों की समय रहते मरम्मत करनी चाहिए, लेकिन जब तक स्थिति गंभीर नहीं होती, तब तक संबंधित विभाग भी सक्रिय नहीं होते।
ग्रामीण और शहरी नागरिकों की स्पष्ट मांग है कि सड़क मरम्मत कार्य को प्राथमिकता पर लिया जाए। बरसात खत्म होने तक इंतजार करने के बजाय तात्कालिक उपाय किए जाएं, ताकि यात्रा सुरक्षित और सुगम हो सके।
भंडारा जिले की 52 सड़कों का खराब होना केवल बारिश का नतीजा नहीं, बल्कि समय पर मरम्मत न होने का परिणाम भी है।अगर जुलाई में हुई समय रहते ठोस कदम न उठाए गए तो जिले के लोगों को आने-जाने में और भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। शासन और विभागों को चाहिए कि सड़क मरम्मत कार्य को आपदा प्रबंधन की तरह गंभीरता से लें।