15 दिन में बच्चियों का कई बार हुआ यौन उत्पीड़न (फोटो सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: बदलापुर यौन शोषण मामले में दिन-ब-दिन कई बड़े खुलासे हो रहे है। जांच समिति ने प्राथमिक रिपोर्ट में स्कूल प्रशासन पर कई सवाल उठाए हैं। राज्य सरकार द्वारा मामले की जांच के लिए गठित दो सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। रिपोर्ट में पाया गया कि इन मासूम बच्चियों का 15 दिनों में कई बार यौन शोषण किया गया था।
यौन शोषण की घटना के बाद राज्य सरकार द्वारा गठीत पुलिस महानिदेशक (आईजी) आरती सिंह की अध्यक्षता में एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया गया कि बच्चियों का कई बार यौन उत्पीड़न हुआ। लेकिन स्कूल प्रशासन ने शिकायत के बाद भी मामले को दबाने का प्रयास किया। छात्रा के प्राइवेट पार्ट में घाव होने का जिक्र भी किया गया है। जांच समिति ने यह भी कहा कि इसके बावजूद अस्पताल ने इलाज में 12 घंटे लगा दिए। आरोपी अक्षय शिंदे के बारे में माना जा रहा है कि वह आदतन अपराधी है।
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रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बदलापुर के आदर्श बाल मंदिर में अक्षय शिंदे को संविदा पर सफाईकर्मी नियुक्त करने से पहले उसके बारे में कोई जांच नहीं की गई। अक्षय को बिना पहचानपत्र के स्कूल परिसर और शौचालयों में जाने की अनुमति दी गई।
दो सदस्यीय समिति जांच के दौरान यह भी पाया कि छात्रों की सुरक्षा के लिए शौचालय के आसपास सीसीटीवी कैमरे भी नहीं है। हालांकि प्राथमिक जांच में यह पता नहीं चल पाया कि आरोपी की नियुक्ति आउटसोर्सिंग से की गई या किसी की सिफारिश पर काम पर रखा गया था।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राजनीतिक दलों या व्यक्तियों को 24 अगस्त या आगे की किसी तारीख पर प्रस्तावित महाराष्ट्र बंद का आह्वान करने से रोक दिया और कहा कि इस तरह के विरोध-प्रदर्शन के कारण सामान्य जनजीवन प्रभावित होगा। विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाडी (एमवीए) ने ठाणे जिले के बदलापुर के एक स्कूल में दो बच्चियों के कथित यौन उत्पीड़न के विरोध में 24 अगस्त को पूरे राज्य में बंद का आह्वान किया था। एमवीए में कांग्रेस, राकांपा (शरदचंद्र पवार) और शिवसेना (यूबीटी) शामिल हैं।
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मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने कहा कि यदि राजनीतिक दलों और व्यक्तियों को शनिवार को भारत बंद के आह्वान पर आगे बढ़ने से नहीं रोका गया, तो न केवल अर्थव्यवस्था एवं व्यापार के मामले में भारी नुकसान होगा, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं सहित विभिन्न आवश्यक सेवाएं भी बुरी तरह प्रभावित होंगी, जिसे रोकने की आवश्यकता है। पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार बंद को रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी।