"तालाब में रील, मौत से डील!" (सौजन्यः सोशल मीडिया)
छत्रपती संभाजीनगर: शहर के हसूल तालाब में एक अजीब और खतरनाक ट्रेंड चल पड़ा है। युवाओं का ‘जानलेवा रील’ बनाना! यह वही तालाब है जिससे संभाजीनगर के 14 वॉर्डों को पानी सप्लाई होता है। बीते कुछ महीनों में इस तालाब में डूबकर कई लोगों की जान जा चुकी है। कभी आत्महत्या, तो कभी लापरवाही। बावजूद इसके, अब यहां कॉलेज के छात्र पानी में कूदकर मोबाइल से रील्स बना रहे हैं और हैरानी की बात यह है कि प्रशासन गहरी नींद में सोया हुआ है।
तालाब के किनारे “प्रवेश निषेध” के बोर्ड लगे हैं, सुरक्षा रक्षक भी तैनात किए गए थे। लेकिन सब कुछ सिर्फ दिखावे के लिए। अब न कोई गार्ड नजर आता है, न कोई रोक-टोक। छात्र खुलेआम पानी में उतरकर वीडियो बना रहे हैं, बगैर यह सोचे कि फिसलन या गहराई उनकी जान ले सकती है।
पिछली डूबने की घटनाओं के बाद नगर निगम ने सुरक्षा बढ़ाने की घोषणा की थी, लेकिन वह कदम कुछ हफ्तों के लिए ही था। अब फिर से वही पुरानी ढील और लापरवाही देखने को मिल रही है। न कोई चेतावनी तंत्र, न आपातकालीन व्यवस्था। मानसून में जलस्तर बढ़ने पर खतरा और भी बड़ा हो जाता है, लेकिन किसी को परवाह नहीं।
यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि प्रशासन की नाकामी है। जहां एक ओर युवा रील बनाकर लाइक्स बटोरना चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर नगर निगम अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ रहा है। यदि समय रहते कड़ी कार्रवाई और सख्त पहरा नहीं लगाया गया, तो अगली रील शायद ‘वायरल मौत’ बन सकती है।
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क्या रील के नाम पर युवा अपनी जान गंवाएंगे और प्रशासन बस देखता रहेगा?
डूबने की घटनाओं के बाद भी सुरक्षा इंतजाम क्यों नहीं टिकते?
क्या कोई बड़ी दुर्घटना होने के बाद ही अधिकारी जागेंगे?