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Retired Principal Cyber Fraud: सेवानिवृत्त प्राध्यापक को प्रवर्तन निदेशालय अर्थात ईडी की कार्रवाई के तहत डिजिटल अरेस्ट करने की धौंस दिखाकर साइबर ठगों ने 32 लाख, 50,000 रुपए की ठगी की। 9 दिनों तक चली कारगुजारी के बाद बुजुर्ग को साइबर ठगों की सालसाजी का पता चला और उसने बेगमपुरा पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई।
जानकारी के अनुसार जयसिंहपुरा के प्रज्ञानिवास निवासी सेवानिवृत्त प्राध्यापक सुदाम राजभोज को 9 से 18 सितंबर के बीच ठगों ने खुद को टेलिकॉम सेवा प्रतिनिधि बताते हुए उनके खिलाफ कुलाबा पुलिस थाने में ईडी के तहत अपराध दर्ज होने की बात कही। एक अन्य नंबर से कॉल कर खुद को पुलिस निरीक्षक बताकर बुजुर्ग पर अवैध संपत्ति व मनी लॉनडूंग का आरोप लगाया। वीडियो कॉल, नकली कोर्ट आदेश व ईडी अधिकारियों की झूठी पहचान दिखाकर बार-बार गिरफ्तार करने की धमकी दी गई, इसके बाद ठगों ने ईडी जांच का झूठा दावा कर फंड ट्रांसफर का नाटक किया।
ठगों ने 10 सितंबर को पुनः फिर संपर्क कर दबाव बनाया व गिरफ्तारी से बचने के लिए पैसे जमा करने की बात कही। डर के चलते प्राध्यापक राजभोज ने उनकी 28 लाख, 50,000 रुपए की मियादी जमाएं तुड़वा कर महाराष्ट्र बैंक खाते से आरटीजीएस के जरिए ठगों के खाते में राशि ट्रांसफर कर दी। इतनी राशि लेने के बावजूद ठगों का लालच कम नहीं हुआ और 15 सितंबर को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का नकली पत्र दिखाया। यही नहीं, 18 सितंबर को फिर धमकाकर अतिरिक्त 4 लाख रुपए ले लिए, इस तरह महज 9 दिनों में सेवानिवृत्त प्राध्यापक राजभोज को कुल 32.5 लाख रुपए का वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा। धोखाधड़ी की पुष्टि के बाद राजभोज पुलिस थाने में पहुंचे व शिकायत दर्ज कराई। पुलिस साइबर ठगों की सरगर्मी से खोजबीन कर रहे हैं।
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राजभोज ने शिकायत में कहा कि वीडियो कॉल पर नरेश गोयल शख्स के फोटो के साथ ही कैनरा बैंक के प्रबंधक का फोटो दिखाकर ‘ये लोग आपराधिक तरीके से पैसे वसूलकर वह आपके खाते में ट्रांसफर करते हैं। राजभोज को डराया गया कि यह मामला ईडी के संयुक्त निर्देशक को भेजा गया है। इसके साथ ही आरोपियों ने उन्हें हस्तलिखित आवेदन देने के लिए मजबूर किया गया। यही नहीं, उनके बैंक खाते की जांच की आड़ में चेक भी मंगाया गया।