पंढरी की वारी जीवन के दुख दूर करती है। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
छत्रपती संभाजीनगर:अच्छे कर्मों से ही कर्म शुद्धि और दुःख दूर होते हैं। यह सृष्टि का कटु सत्य है कि ईश्वर दयालु नहीं, न्यायकारी है। भक्ति योग और कर्म योग अलग-अलग नहीं हैं, बल्कि दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। भक्ति से ही कर्म करने का ज्ञान मिलता है। गंगागिरी महाराज निष्काम वारी करते हैं। यदि कोई निष्काम भाव से कर्म करता रहे तो ईश्वर को उसका फल अवश्य देना पड़ता है। महंत रामगिरी महाराज ने कहा कि वारी करने से भक्त के जीवन से दुःख दूर होते हैं।
श्रीक्षेत्र सरला बेट से श्रीक्षेत्र पंढरपुर तक पैदल दिंडी समारोह की शुरुआत शुक्रवार को द्वीप में महंत रामगिरी महाराज ने गंगागिरी महाराज ब्रह्मली नारायण गिरिजी महाराज का पाद-पूजन कर और मंदिर की परिक्रमा कर की। इस दिंडी में करीब 2500 से 3 हजार वारकरी शामिल हुए हैं। 200 साल पहले योगीराज गंगागिरी महाराज द्वारा शुरू की गई दिंडी परंपरा आज तक जारी है।
दिंडी में भाग ले रहे श्रद्धालु गरीब किसान हैं और उन्होंने कामना व्यक्त की कि इस वर्ष भरपूर बारिश होगी और किसान खुशहाल होंगे। इस अवसर पर वृक्षारोपण कार्यक्रम ‘संकल्प से सिद्धि तक, एक पेड़ मां के नाम’ के तहत श्री क्षेत्र सरला बेट से लाडगांव तक 7 किलोमीटर सड़क के दोनों ओर वृक्षारोपण का शुभारंभ किया गया।
इस अवसर पर संभाजीनगर भाजपा जिला अध्यक्ष संजय खंबायते, अहिल्यानगर जिला अध्यक्ष नितिन दिनकर, डॉ. दिनेश परदेशी, पंचगंगा उद्योग समूह के प्रभाकर शिंदे, अविनाश पाटिल गनलाडे, बाबासाहेब चिड़े, बबनराव मुठे, विजय पवार, नारायण कावड़े, पंकज थोम्ब्रे, दत्तू खापके, हरिशरण गिरि महाराज, संदीपन महाराज, योगानंद महाराज विश्वनाथ गिरि, महाराज विक्रम महाराज डॉ. कोटे, सरला द्वीप के ट्रस्टी मधुकर महाराज और हजारों भक्त उपस्थित थे।
पंढरी के पांडुरंग की आषाढ़ी वारि अनुष्ठान के अवसर पर पंढरपुर के लिए पैदल रवाना हुए शांति ब्रह्म श्रीसंत एकनाथ महाराज पालकी अनुष्ठान के वारकरों की थकान दूर करने के लिए परंपरा के अनुसार संत भगवान बाबा के संत मिलन के साथ नाथों का पहला रिंगण समारोह आयोजित किया गया और शनिवार 21 तारीख की दोपहर को मिडसावंगी के पंचक्रोशी में बड़े उत्साह के साथ रिंगण समारोह संपन्न हुआ।