उद्योग मंत्री उदय सामंत (सौ. सोशल मीडिया )
Chhatrapati Sambhaji Nagar News: औद्योगिक क्षेत्रों में केवल आधारभूत सुविधाएं देना काफी नहीं है, बल्कि उनकी नियमित निगरानी और कर्मचारियों की सुरक्षा भी उतनी ही जरूरी है।
जिला उद्योग मित्र समिति की बैठक में उद्योग मंत्री उदय सामंत ने कहा कि सिर्फ सड़कों और बिजली से ही उद्योग नहीं चलते, बल्कि सुरक्षा और सिस्टम भी चाहिए होते हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा से लेकर अतिक्रमण हटाने तक, हर मोर्चे पर ठोस कार्रवाई होनी चाहिए, उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि सुरक्षा के लिए विशेष उपाय लागू किए जाएं और सभी औद्योगिक घटकों को एक सुरक्षित कार्य वातावरण मुहैया कराया जाए।
ऑरिक सिटी स्थित सभागार में आयोजित इस बैठक में जिले के प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी, औद्योगिक संगठन व विभागीय अधिकारी मौजूद थे। बैठक एमआईडीसी, जीएसटी, नगर में निगम, पुलिस और उद्योग विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया, मंत्री सामंत ने कहा कि औद्योगिक प्रगति तभी संभव है जब सुविधाएं, सुरक्षा और सुगमता तीनों एक साथ उपलब्ध कराई जाएं।
बैठक के दौरान सड़क, पानी, पाइपलाइन और बिजली जैसी आधारभूत सुविधाओं की गुणवत्ता सुधारने पर जोर दिया गया। मंत्री ने यह भी कहा कि यदि बिजली आपूर्ति बाधित होती है, तो इससे उद्योगों को भारी नुकसान होता है। इसलिए औद्योगिक क्षेत्र में बिजली की निरंतर और निर्वाध आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।
उद्योग मंत्री ने औद्योगिक क्षेत्रों में अवैध अतिक्रमण हटाकर सर्विस रोड विकसित करने के निर्देश दिए। इससे न केवल यातायात व्यवस्था में सुधार होगा, बल्कि आपात स्थिति में त्वरित सेवाएं भी उपलब्ध कराई जा सकेंगी, उद्योग मंत्री उदय सामंत ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सौरीटीवी कैमरे, महिला हेल्प डेस्क, सुरक्षा गार्ड और प्रकाश व्यवस्था जैसी सुविधाओं को प्राथमिकता दी जाए। औद्योगिक संस्थानों को इस दिशा में स्वयं पहल करनी चाहिए।
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बैठक में मासिआ, सीएमआईए, लघुउद्योग भारती, सीआईआई, वालुज इंडस्ट्री एसोसिएशन आदि संगठनों के प्रतिनिधियों ने उद्योग मंत्री के समक्ष बिजली दरों, जलापूर्ति, सड़क मरम्मत, ट्रांसपोर्टेशन और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में देरी जैसी समस्याएं रखीं। मंत्री ने सभी मुद्दों को गंभीरता से सुनते हुए शीघ्र समाधान का आश्वासन दिया। यह बैठक जिले के औद्योगिक विकास की दिशा में एक सकारात्मक पहल मानी जा रही है। जिसमें नीति-निर्माताओं और उद्योग जगत के बीच सीधा संवाद स्थापित हुआ।