
फर्जी आईएएस कल्पना भागवत (सोर्स: सोशल मीडिया)
Chhatrapati Sambhajinagar News In Hindi: फर्जी महिला आईएएस अधिकारी कल्पना भागवत से जुड़े बहुचर्चित प्रकरण में अब नए खुलासों की परतें सामने आ रही हैं, जांच में पता चला है कि अफगानिस्तानी शरणार्थी मोहम्मद अशरफ गिल (24) को पूरा विश्वास था कि कल्पना व उसके साथ मौजूद युवक असली अधिकारी हैं।
अशरफ पाकिस्तान में रह रहे अपने भाई को भारत लाने के लिए उनसे मदद लेना चाहता था। 2017 में तालिबान हमलों में अचानक बढ़ोतरी के बाद अशरफ का पूरा परिवार अफगानिस्तान छोड़ने को मजबूर हो गया। शरणार्थी के तौर पर वे पाकिस्तान व अन्य देशों में जा बसे।
हिंसा में अशरफ के एक भाई की हत्या भी हो गई थी, इसके बाद उसकी मां व दो भाई पाकिस्तान चले गए। कुछ समय बाद मां व एक भाई वापस अफगानिस्तान लौटे, जबकि गिलानी वहीं पाकिस्तान में रह गया। अशरफ की एक बहन फिनलैंड में रहती है और वह सभी से केवल व्हॉट्सऐप कॉल पर बातचीत कर पाता था।
इसी दौरान अपने भाई को भारत लाने की कोशिश में उसकी मुलाकात कल्पना से हुई। अशरफ का कहना है कि उसे विश्वास था कि कल्पना व उसके साथी सचमुच उच्च अधिकारी हैं और वे कानूनी तरीके से भाई को भारत लाने में मदद कर सकते हैं।
29 नवंबर से शहर पुलिस, फोरेंसिक विशेषज्ञ व विभिन्न जांच एजेंसियां फर्जी आईएएस कल्पना भागवत (46, निवासी पडेगांव), खुद को केंद्रीय मंत्री का ओएसडी बताने वाले देवेंद्र कुमार हरजाई (30, पालम दिल्ली) व मोहम्मत अशरफ से गहन पूछताछ कर रही हैं अशरफ अपने भाई गिलानी को कल्पना के संपर्क में क्यों लाया? इसका स्पष्ट जवाब अभी तक नहीं मिल सका है। फोरेंसिक विभाग अब अशरफ के मोबाइल की कर रहा है।
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, कल्पना बचपन से ही आईएएस अधिकारी बनना चाहती थी, उसने कई प्रतियोगी परीक्षाओं का प्रयास किया व एक बार यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा भी पास की थी। 2010-11 में वह दिल्ली में रहकर सिविल सेवा की तैयारी कर रही थी। इसी कारण परिवार व समाज में कुछ लोगों को लंबे समय तक यह भ्रम रहा कि कल्पना सचमुच आईएएस बन गई है।
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यहां तक कि उसकी मां आज भी मानती हैं कि उनकी बेटी एक उच्च पदस्थ अधिकारी है। अब पुलिस के सामने मुख्य सवाल यह है कि अशरफ व कल्पना के संपर्क में आने का वास्तविक उद्देश्य क्या था? क्या इसका संबंध अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से है, या सिर्फ अधिकारी होने के भ्रम का फायदा उठाया गया? फिलहाल, जांच जारी है व पुलिस को मोबाइल डेटा व अन्य तकनीकी साक्ष्यों से आगे सुराग मिलने की उम्मीद है।






