बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच (सौ. सोशल मीडिया )
Chhatrapati Sambhaji Nagar News In Hindi: बॉम्बे उच्च न्यायालय की औरंगाबाद खंडपीठ ने न्यायालयों की सुरक्षा बाबत अहम फैसला सुनाया है। न्या. विभा कंकणवाड़ी व न्या. संजय देशमुख ने दाखिल सुमोटो याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि, आर्थिक कारणों के चलते राज्य सरकार न्यायालयों को सुरक्षा को मुहैया कराने से इनकार नहीं कर सकती।
उनकी सुरक्षा सुनिक्षित करने के लिए कहा गया। विविध न्यायालयों, न्यायाधीश व अधिवक्ताओं की सुरक्षा के चारे में कई खामियां सामने आई थीं। इसका संज्ञान लेकर खंडपीठ ने स्वयं जनहित याचिका दाखिल की है।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के गृह, विधि व न्याय विभाग की ओर से न्यायालयों को दी जाने वाली सुरक्षा का अवलोकन किया गया। मुख्य सचिव, गृह व विधि व न्याय विभाग के प्रधान सचिव की बैठक में न्यायालयों को मुहैया कराने वाली सुरक्षा के अलावा 5,000 से अधिक मानव संसाधन मुहैया कराने का निर्णय लिया गया था।
अदालत ने पूछा कि, कर्मियों की आपूर्ति के बारे में कौनसे कदम उठाए गए? साथ ही यह भी संभावना तलाशने के लिए गया. मुख्य सचिव, गृह व विधि व न्याय विभाग के प्रधान सचिव की बैठक में न्यायालयों को मुहैया कराने वाली सुरक्षा के अलावा 5,000 से अधिक मानव संसाधन मुहैया कराने का निर्णय लिया गया था।
अदालत ने पूछा कि, कर्मियों की आपूर्ति के बारे में कौनसे कदम उठाए गए? साथ ही यह भी संभावना तलाशने के लिए कहा कि नियमित मानव संसाधन मुहैया कराने तक क्या अस्थाई एसआरपीएफ देना संभव है? इस पर गृह विभाग ने पत्र के जरिए कहा था कि, एसआरपीएफ रचना तनावस्थल पर सुरक्षा मुहैया कराने के लिए की गई है व उन्हें गार्ड ड्यूटी प्रशिक्षण नहीं दिया गया है।
वित्त विभाग ने अतिरिक्त सुरक्षा मुहैया कराने के बारे में खामियां उजागर की थी. गृह विभाग को इससे अवगत कराने व कई जवाब नहीं मिलने की जानकारी अदालत में रखी गई। इस पर खंडपीठ ने वित्त विभाग के सवालों की रिपोर्ट 9 सितंबर तक पेश करने विधि व न्याय विभाग ने वित्त विभाग से चर्चा कर संशोधित प्रस्ताव पेश करने का आदेश दिया। 1 प्रस्ताव मिलने के बाद अपना मत प्रदर्शित कर 11 सितंबर तक विधि व न्याय विभाग व को सूचित करने कहा गया।
राज्य सरकार को तब तक बारी-बारी से अर्थात उच्च न्यायालय, जिला न्यायालय, तहसील न्यायालय के हिसाब से सुरक्षा मुहैया कराने व स्थाई रूप से समस्या का हल करने के निर्देश दिए गए थे। उसमें अब कोल्हापुर बेंच को भी शामिल करने के निर्देश दिए गए। इस बारे में प्रधान सचिव, विधि व न्याय विभाग को वैयक्तिक हलफनामा दाखिल करने, वित्त विभाग के उपसचिव दर्जे के अधिकारी को भी हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा गया।
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याचिका में बतौर न्यायालय मित्र एड. अनिरुद्ध निंबालकर व उच्च न्यायालय प्रबंधक की ओर से वरिष्ठ विधि विशेषज्ञ राजेंद्र देशमुख, मनबार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा की ओर से एड. वसंतराव सालुके, राज्य सरकार की ओर से एड. अमरजीत सिंह गिरासे ने पैरवी की।