
'इंडिपेंडेंट फिल्मों में फंडिंग और रिलीज सबसे बड़ी चुनौती', IFFI में रवि दुबे ने विस्तार से बताया
Ravi Dubey On Independent Films: भारत में इंडिपेंडेंट फिल्मों के क्षेत्र में काम करने वाले फिल्ममेकर्स को बड़े बजट, बड़े नामों और इंडस्ट्री के स्थापित नेटवर्क के बीच अपनी जगह बनाने के लिए हमेशा संघर्ष करना पड़ता है। सीमित अवसर और कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच, इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (आईएफएफआई) जैसे मंच असली प्रतिभा को पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस साल के फेस्टिवल में अभिनेता और निर्माता रवि दुबे ने न सिर्फ आईएफएफआई के महत्व को रेखांकित किया, बल्कि उन प्रमुख चुनौतियों पर भी विस्तार से बात की जिनसे इंडिपेंडेंट फिल्ममेकर रोज गुजरते हैं।
आई.ए.एन.एस. से बात करते हुए रवि दुबे ने बताया कि देश में कई प्रतिभाशाली युवा और अनुभवी फिल्ममेकर अद्भुत काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें अपनी फिल्मों को दर्शकों और निवेशकों तक पहुंचाने में मुश्किलें होती हैं।
रवि दुबे के अनुसार, इंडिपेंडेंट फिल्ममेकर्स के सामने सबसे बड़ी चुनौती फंडिंग की होती है। उन्होंने कहा कि इंडिपेंडेंट फिल्में आमतौर पर अपने दम पर बनाई जाती हैं, इसलिए पैसा जुटाना मुश्किल होता है।
“इसके साथ ही तकनीक, संसाधन और सही टीम मिलना भी चुनौती की तरह है। कई बार फिल्म पूरी होने के बाद भी उसे रिलीज करने के लिए सही प्लेटफॉर्म नहीं मिलता। इन सब कारणों से कई अच्छे प्रोजेक्ट अधूरे रह जाते हैं या बहुत छोटे स्तर पर रिलीज होते हैं, जिससे उन्हें पहचान नहीं मिल पाती।”
ये भी पढ़ें- सायरा बानो ने धर्मेंद्र को बताया दिलीप कुमार का ‘धरम’, लिखा भावुक नोट
रवि दुबे ने इंडिपेंडेंट फिल्ममेकर्स के लिए आईएफएफआई (IFFI) को देश का सबसे बड़ा और सबसे प्रभावशाली प्लेटफॉर्म बताया। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ एक फेस्टिवल नहीं है, बल्कि वह जगह है जहां कलाकार, निर्माता और दर्शक एक ही माहौल में मिलते हैं। यहाँ फिल्ममेकर अपने काम को उन लोगों के सामने पेश कर सकते हैं जो सच में नई कहानियों की तलाश में रहते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि आईएफएफआई का महत्व सबसे अलग है, क्योंकि यह क्षेत्रीय सिनेमा, इंडिपेंडेंट फिल्मों और मुख्यधारा के प्रोजेक्ट्स सहित इंडस्ट्री के हर वर्ग को जोड़ता है।
रवि दुबे अपनी पत्नी और अभिनेत्री-प्रोड्यूसर सरगुन मेहता के साथ आईएफएफआई में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि उन्हें बहुत पहले यहां आ जाना चाहिए था। फेस्टिवल में पहुंचकर उन्होंने महसूस किया कि भारतीय फिल्म इंडस्ट्री कितनी बड़ी, विविध और टेक्नोलॉजी के लिहाज से कितनी तेजी से आगे बढ़ रही है। रवि ने कहा, “यहां आकर मैं नए लोगों से मिला, नई तकनीकें देखी और फिल्म निर्माण की बदलती दिशा को समझा। मेरे लिए यह अनुभव बेहद प्रेरणादायक रहा।”






