टीचर के हाल बेहाल (AI Generated Photo)
Amravati News: महाराष्ट्र में शिक्षकों पर डिजिटल कार्यभार का अत्यधिक दबाव बढ़ता जा रहा है। शालेय शिक्षण विभाग द्वारा विभिन्न योजनाओं के लिए बनाए गए 40 से अधिक सरकारी ऐप्स, रिपोर्टिंग सिस्टम, ऑनलाइन ट्रेनिंग और सर्वेक्षणों के कारण शिक्षकों का अधिकांश समय मोबाइल या कम्प्यूटर पर बीत रहा है।
इसका सीधा असर पढ़ाई की गुणवत्ता पर पड़ रहा है, ऐसी चिंता प्राथमिक शिक्षक संघ द्वारा जताई गई है। संघ ने राज्य के शालेय शिक्षण मंत्री दादाजी भुसे और संबंधित अधिकारियों को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की है कि सभी सरकारी ऐप्स को मिलाकर एक “एकीकृत शिक्षक अनुकूल डिजिटल प्रणाली” (UTFDS) बनाई जाए।
ज्ञापन में शिक्षकों ने रोजाना दर्जनों ऐप्स पर जानकारी अपलोड करना, सरल, शालार्थ, U-DISE+, मध्यान्ह भोजन, प्रेरणा, दीक्षा, महाडीबीटी, निपुण प्लस, शारदा, उल्लास, समर्थ पोर्टल, IGOT कर्मयोगी, उमंग, PFMS, महा स्कूल, परख जैसे ऐप्स पर शिक्षकों को हर दिन अलग-अलग जानकारियां भरनी पड़ती हैं।
जिसके कारण बार-बार ऐप हैंग होना, नेटवर्क की समस्या और बार-बार डाटा अपलोड करने की मजबूरी के कारण समय और मनोबल दोनों का नुकसान होने जैसी समस्या सामने आ रही है। शिक्षक संघ का कहना है कि अलग अलग व्हॉट्सएप ग्रुप्स में 24 घंटे आदेश, लिंक और रिपोर्ट मांगी जाती हैं, जिससे मानसिक तनाव भी काफी बढ़ गया है।
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यह स्थिति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21A (शिक्षा का अधिकार) और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों के विपरीत है। शिक्षक ज्ञान देने वाले पथ-प्रदर्शक हैं, लेकिन वर्तमान में उन्हें एक ‘डिजिटल डेटा एंट्री ऑपरेटर’ की भूमिका निभानी पड़ रही है।
शिक्षकों की मांग के अनुसार सभी सरकारी ऐप्स को मिलाकर एक ‘यूनिफाइड एजुकेशन ऐप’ बनाया जाने, ऑनलाइन रिपोटिंग की 2455 संख्या सीमित की जाने, हर स्कूल में “डिजिटल डेटा एंट्री सहायक” की नियुक्ति की जाने जैसी अनेक मांगों को सामने रखा है। अब देखना यह है कि सरकार संगठनों की मांग कैसे पूरी करती है।