संजय राउत ने कमलताई राउत को लेकर क्या कहा (सौ. डिजाइन फोटो )
Amravati News In Hindi: राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि कमलताई गवई आंबेडकरवादी हैं और वह संघ के झांसे में नहीं आईं। उन्होंने कहा, ‘संघ के झांसे में नहीं फंसने के लिए मैं कमलताई गवई और उनके परिवार को शुभकामनाएं देता हूं।
आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यक्रम में सीजीआई बीआर गवई की मां को न्योते पर राजनीति शुरू हो गई है। अब शिवसेना (उद्धव बालासाहब ठाकरे) ने संघ का न्योता अस्वीकार करने को लेकर सीजेआई की मां की तारीफ की है। साथ ही भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ से तुलना भी कर डाली। गवई परिवार ने पहले कहा था कि न्योता स्वीकार कर लिया गया है।
राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि कमलताई गवई आंबेडकरवादी हैं और वह संघ के झांसे में नहीं आईं। उन्होंने कहा, ‘संघ के झांसे में नहीं फंसने के लिए में कमलताई गवई और उनके परिवार को शुभकामनाएं देता हूं। उन्होंने पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ की तरह व्यवहार नहीं किया। खास बात है कि राउत ने पूर्व सीजेआई के घर पर गणेश पूजा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने पर सवाल उठाए थे।
इस दौरान उन्होंने संघ की भी जमकर आलोचना की। राउत ने कहा, ‘संघ के सांस्कृतिक संगठन है। उनके हिन्दुत्व विचार हैं। हमें इस बात में कोई संदेह नहीं है। एक समय में हमें उनसे हमदर्दी थी। जब भी देश में परेशानी होती है, तो वो शासकों के खिलाफ खड़े नहीं होते। आज डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर और महात्मा गांधी के नाम संघ से जोड़ने की कोशिश की जा रही है। लेकिन गांधी या डॉक्टर आंबेडकर ने कभी संघ का साथ नहीं दिया।
उन्होंने कहा, ‘आज देश की ताकत आरएसएस के हाथों में है। उन्होंने प्रधानमंत्री और कुछ राज्यपाल नियुक्त किए हैं। ऐसे में उनके आंदोलन में सत्ता की चमक है। आरएसएस की शताब्दी वर्ष समारोह में पोस्टल स्टाम्प और सिक्की जारी किया गया, लेकिन स्वतंत्रता संग्राम संघर्ष में आरएसएस का योगदान क्या है। उन्हें एक बार बताना चाहिए।
कमलताई गवई ने बुधवार को कहा था कि वह पांच अक्टूबर को यहां राष्ट्रीय आरएसएस के शताब्दी कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगी। उन्होंने एक खुले पत्र में कहा कि इस खबर से उपजे विवाद और उन पर लगे आरोपों व बदनामी के कारण उन्होंने कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल न होने का फैसला किया। उन्होंने पत्र में लिखा, ‘(लेकिन) जैसे ही कार्यक्रम की खबर प्रकाशित हुई, कई लोगों ने न केवल मुझ पर बल्कि दिवंगत दादासाहेब गवई (उनके पति, बिहार के पूर्व राज्यपाल आर।एस। गवई) पर भी आरोप लगाना और आलोचना करना शुरू कर दिया। हमने डॉ भीमराव आंबेडकर की विचारधारा के अनुसार अपना जीवन जिया है, जबकि दादासाहेब गवई ने अपना जीवन आंबेडकरवादी आंदोलन के लिए समर्पित कर दिया था। विभिन्न विचारधाराओं वाले मंच पर अपनी विचारधारा साझा करना भी महत्वपूर्ण है, जिसके लिए साहस की आवश्यकता होती है।’
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उन्होंने कहा कि उनके पति जानबूझकर विपरीत विचारधाराओं वाले संगठनों के कार्यक्रमों में शामिल होते थे और वंचित वर्गों के मुद्दों को उठाते थे। उन्होंने यह भी कहा कि वह आरएसएस के कार्यक्रमों में तो शामिल होते थे, लेकिन उसके हिंदुत्व को कभी स्वीकार नहीं किया। कमलताई ने लिखा, ‘अगर मैं (5 अक्टूबर के आरएसएस समारोह में) मंच पर होती, तो मैं आंबेडकरवादी विचारधारा को सामने रखती। लेकिन जब उन्हें और उनके दिवंगत पति को आरोपों का सामना करना पड़ा और ‘एक कार्यक्रम की वजह से उन्हें बदनाम करने की कोशिश की गई, तो उन्हें बहुत दुख हुआ और उन्होंने संघ के समारोह में न जाने और इसपर विराम लगाने का फैसला किया।