अधिकार उल्लंघन कमेटी के नियम बदलने की मांग (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Privilege Violation Committee: राज्य विधानसभा के सदस्यों के विशेषाधिकारों के उल्लंघन मामलों की जांच के लिए सदन द्वारा एक अधिकार उल्लंघन कमेटी गठित की गई है। मुख्यमंत्री ने भी जनप्रतिनिधियों की अवमानना को गंभीरता से लेते हुए इस संबंध में एक सर्कुलर जारी किया है और विशेषाधिकार उल्लंघन से संबंधित प्रक्रिया के नियम लागू किए हैं।
इसके बावजूद हर वर्ष ऐसे कई मामले कमेटी के सामने पहुँचते हैं। इसलिए शिकायतों पर अधिक प्रभावी और कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए अधिकार उल्लंघन कमेटी के नियमों में संशोधन की आवश्यकता का मुद्दा कमेटी सदस्य एवं विधान परिषद सदस्य संजय खोडके ने शीतकालीन सत्र में उठाया।
नागपुर में चल रहे राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन संजय खोडके ने यह विषय सदन में प्रस्तुत किया। इसी दौरान विधान परिषद सदस्य प्रवीण दारेकर और विधायक श्रीकांत भारतीय ने विधान परिषद के अध्यक्ष प्रो. राम शिंदे और सूर्यकांत मोरे के खिलाफ विशेषाधिकार उल्लंघन का प्रस्ताव रखा। आरोप था कि 23 नवंबर को नगर परिषद चुनाव प्रचार के दौरान दोनों ने सदस्यों के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी।
जब इस प्रस्ताव पर चर्चा जारी थी, उसी समय संजय खोडके ने कहा कि विधानमंडल ने जनप्रतिनिधियों को विशेषाधिकार प्रदान किए हैं, जिनकी रक्षा करना आवश्यक है। अधिकार उल्लंघन कमेटी का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इन विशेषाधिकारों का उल्लंघन न हो।
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उन्होंने कहा कि बावजूद इसके कई अधिकारी और अन्य लोग जनप्रतिनिधियों को उचित महत्व नहीं देते और बार-बार ऐसे बयान देते हैं, जिनसे उनका अपमान होता है। मुख्यमंत्री द्वारा जारी सर्कुलर में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि जनप्रतिनिधियों के विशेषाधिकारों का उल्लंघन किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं होगा।