पानी का बिल (सौजन्य-नवभारत)
Akola News: अकोला मनपा के जलापूर्ति विभाग द्वारा अब मीटर रीडिंग लेकर नलधारकों को पानी के बिल वितरित किए जा रहे हैं। लेकिन एक साथ कई वर्षों के पानी के बिल थमाने से नागरिकों को हजारों रुपये तक का भुगतान करना पड़ रहा है, जिससे वे भारी आर्थिक और मानसिक तनाव में हैं। सन 2017 में मनपा ने नलों पर मिटर लगाने का निर्णय लिया था और उसी वर्ष अमृत योजना के तहत 113 करोड़ रु. की लागत से जलापूर्ति सुदृढ़ीकरण का कार्य शुरू हुआ।
इसके तहत मूल मनपा सीमा में जलवाहिनियां बिछाई गईं और 2018 से 2019 के बीच कई क्षेत्रों में पानी आपूर्ति शुरू हुई। मीटर लगे नलों पर 120 रु. और बिना मीटर वाले नलों पर 300 रु. प्रतिमाह पानी का बिल तय किया गया था। साथ ही हर तीन महीने में बिल वितरण का निर्णय भी लिया गया था।
2018 से अब तक कई क्षेत्रों में न तो मीटर रीडिंग ली गई और न ही पानी के बिल वितरित किए गए। अब जब रीडिंग लेकर बिल दिए जा रहे हैं, तो एक साथ वर्षों की बकाया राशि वसूल की जा रही है। नागरिकों का कहना है कि यदि मनपा ने तीन से छह महीने के भीतर नियमित बिल दिए होते, तो यह आर्थिक बोझ नहीं बनता।
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मीटर रीडिंग के दौरान केवल उन्हीं नलधारकों की रीडिंग ली गई जिनका पंजीयन मनपा के पास है। वहीं, उसी गली में जिनके नल कनेक्शन अवैध है, उनका कोई बिल नहीं बन रहा है। इससे मीटर रीडर और वॉल्वमन को दोबारा उसी स्थान पर जाना पड़ेगा, जिससे प्रशासन का समय और संसाधन दोनों का नुकसान हो रहा है। नलधारकों ने मनपा से मांग की है कि बकाया बिलों को किस्तों में वसूल किया जाए और अवैध नल कनेक्शनों की भी तत्काल नोंद लेकर व्यवस्था को पारदर्शी बनाया जाए।