मिड डे मिल (सौ. सोशल मीडिया )
Akola News In Hindi: केंद्र सरकार द्वारा विद्यार्थियों के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना का उद्देश्य बच्चों को स्कूल में पौष्टिक और संतुलित आहार उपलब्ध कराना है।
लेकिन योजना के तहत मिलने वाले अनुदान की सीमित राशि के कारण शिक्षकों को पोषण आहार की पूर्ति हेतु निजी खर्च करना पड़ रहा है, जिससे शिक्षकों में असंतोष और चिंता का माहौल है। वर्तमान शैक्षणिक सत्र में प्राथमिक स्तर पर प्रति विद्यार्थी प्रतिदिन 6.78 रु और उच्च प्राथमिक स्तर पर 10.17 रु का खर्च निर्धारित किया गया है।
पिछले वर्ष की तुलना में यह राशि क्रमशः 0.59 रु और 0.88 रु की मामूली वृद्धि है। हालांकि, इस राशि में चावल के साथ पूरक आहार तैयार करना अत्यंत कठिन हो गया है। सबसे गंभीर स्थिति साग सब्जी और इंधन के खर्च को लेकर है। सरकार द्वारा प्रति विद्यार्थी प्रति दिन केवल 2.19 रु की राशि मंजूर की गई है, जिसमें गैस खरीदना संभव नहीं है। परिणाम स्वरूप, कई स्कूलों में आज भी लकड़ी के चूल्हों का उपयोग कर भोजन पकाया जा रहा है।
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सरकार द्वारा उज्ज्वला योजना के तहत सिलेंडर देने की घोषणा भी अब तक अमल में नहीं आई है। इस परिस्थिति में कुछ स्कूलों ने समाधान के रूप में स्कूल गार्डन की शुरुआत की है। इन बगिचों से आठ महीने तक सीमित मात्रा में ताजी सब्जियां प्राप्त होती हैं, जिन्हें मध्यान्ह भोजन में उपयोग किया जाता है। यह पहल स्थानीय स्तर पर सराहनीय है, लेकिन यह भी पूर्ण समाधान नहीं है। मध्यान्ह भोजन योजना का मूल उद्देश्य यह है कि विद्यार्थी स्कूल में रुचि लें, उन्हें दोपहर के भोजन के लिए घर न लौटना पड़े और उन्हें पोषणयुक्त आहार मिले। लेकिन वर्तमान अनुदान दरों के चलते इस उद्देश्य की पूर्ति में कई अड़चनें आ रही हैं।