राजस्थान से नकली खाद की सप्लाई (सौजन्यः सोशल मीडिया)
अकोला: महाराष्ट्र के वाशीम जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें राजस्थान से लाई गई नकली रासायनिक खाद को एक प्रसिद्ध कंपनी के नाम पर बेचने की साजिश का खुलासा हुआ है। कृषि विभाग की छापेमारी में लगभग 9 लाख 54 हजार रुपए मूल्य का अवैध खाद भंडार जब्त किया गया है। इस मामले में दिनेश चव्हाण नामक व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई वाशीम जिले के मानोरा तहसील के कारपा गांव में की गई।
जिला स्तरीय गुणवत्ता जांच दल ने जब मौके पर छापा मारा, तो वहां 330 खाली खाद के बोरे और 270 ब्रांडेड कंपनी के नाम वाले पैकेट पाए गए। पूछताछ में आरोपी दिनेश चव्हाण न तो संतोषजनक जवाब दे पाया और न ही कोई वैध बिक्री लाइसेंस प्रस्तुत कर सका। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि आरोपी सामान्य और घटिया किस्म के खाद को नामी कंपनी के ब्रांड वाले बोरों में पैक कर बेच रहा था। यह खाद राजस्थान से लाया गया था। जब्त किए गए बिलों पर किसी व्यक्ति या फर्म का नाम या हस्ताक्षर नहीं था, जिससे स्पष्ट है कि यह संपूर्ण लेन-देन संदिग्ध और गैरकानूनी था।
मामले में चौंकाने वाली बात यह रही कि यह नकली खाद आरोपी ने सिर्फ 2.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा था, लेकिन वह इसे 1470 रुपये प्रति बोरे की दर से बेच रहा था। यानी उसने केवल 150 रुपये लागत वाले बोरे पर 8 गुना अधिक दाम छापकर, लगभग 8 लाख 82 हजार रुपए की धोखाधड़ी का प्रयास किया। इतना ही नहीं, खाद के पैकेट पर सरकारी सब्सिडी का झूठा दावा भी मुद्रित था, जिससे सरकार को भी धोखा देने की कोशिश की गई।
इस मामले में कृषि अधिकारी संदीप सावळे की ओर से मानोरा पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की गई। शिकायत में भारतीय दंड संहिता 2023, रासायनिक खाद नियंत्रण आदेश 1985, तथा आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत कुल 14 धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।
इस कार्रवाई में जिला परिषद वाशीम के कृषि विकास अधिकारी अभिजीत देवगिरकर, मोहीम अधिकारी गणेश गिरी, तालुका कृषि अधिकारी रोशन भागवत, गुणवत्ता निरीक्षक अरुण इंगले, और मंडल कृषि अधिकारी उमेश राठौड़ सहित अन्य अधिकारियों की अहम भूमिका रही। सहायक पुलिस निरीक्षक प्रदीप अल्लापूरकर और हेड कांस्टेबल निमाणे ने भी कार्रवाई में सहयोग किया।
इस घोटाले के सामने आने के बाद स्थानीय कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों में आक्रोश फैल गया है। किसानों का कहना है कि नकली खाद के इस्तेमाल से उनकी फसलें नष्ट हो सकती थीं। कृषि विभाग ने किसानों को आगाह किया है कि वे केवल सरकारी प्रमाणित और लाइसेंसधारी विक्रेताओं से ही खाद खरीदें।
प्रशासन अब इस पूरे रैकेट की गहराई से जांच कर रहा है। जांच का फोकस इस बात पर है कि नकली खाद की आपूर्ति के पीछे कौन-कौन लोग और संस्थाएं शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि ऐसे मामलों को रोकने के लिए जिलेभर में सघन निरीक्षण अभियान चलाया जाएगा और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
राजस्थान से नकली रासायनिक खाद लाकर महाराष्ट्र में मशहूर कंपनी के नाम पर बेचना, न केवल किसानों की मेहनत के साथ छल है, बल्कि यह पूरे कृषि तंत्र के लिए गंभीर खतरा भी है। प्रशासन को चाहिए कि वह इस पूरे नेटवर्क को बेनकाब करे और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए निगरानी और जागरूकता की रणनीति को सख्ती से लागू करे।