माणिकराव कोकाटे पर होगा एक्शन (सौजन्य-सोशल मीडिया)
नासिक: स्वाभिमानी किसान संगठन के नेता और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने महाराष्ट्र के कृषि मंत्री एडवोकेट माणिकराव कोकाटे के इस्तीफे की मांग की है। कोकाटे ने किसानों की तुलना भिखारियों से की है। शेट्टी ने इस बयान की निंदा करते हुए इसे शर्मनाक और गैरजिम्मेदाराना बताया और कहा कि ऐसे मंत्रियों के लिए राज्य मंत्रिमंडल में कोई जगह नहीं है।
मंगलवार 3 जून को नासिक में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए शेट्टी ने बेमौसम बारिश के कारण उत्तर महाराष्ट्र के किसानों को हुए भारी फसल नुकसान पर प्रकाश डाला। शेट्टी ने कहा अंगूर के बागों में जलभराव के कारण फल लगने में बाधा आई है, अनार के फूल झड़ गए हैं, गर्मियों के प्याज बर्बाद हो गए हैं और सब्जियों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है।
उन्होंने कोकाटे के उपेक्षापूर्ण रवैये की आलोचना करते हुए कहा, कोकाटे लापरवाही से बोलते हैं। किसानों की तुलना भिखारियों से करना शर्मनाक है। यहां तक कि उपमुख्यमंत्री अजित पवार भी उनके बारे में ऐसी ही राय रखते हैं। कोकाटे भूल जाते हैं कि अजित पवार के पास वित्त विभाग की चाबी है। यह स्वीकार करके कि कृषि विभाग को आवश्यक सहायता नहीं मिली, कोकाटे ने अप्रत्यक्ष रूप से अपनी पार्टी की विफलता को स्वीकार कर लिया है।
शेट्टी ने जोर देकर कहा कि हालांकि प्रभावित किसानों की संख्या अपेक्षाकृत कम हो सकती है, लेकिन नुकसान काफी बड़ा है। सभी क्षेत्रों में बारिश का समान असर नहीं हुआ, लेकिन जहां नुकसान हुआ, वह विनाशकारी था। अंगूर के बाग नष्ट हो गए हैं, प्याज की फसलें कट गई थीं, लेकिन बारिश के कारण वे बिक नहीं पाईं और अब किसानों के पास कुछ भी नहीं बचा है, जबकि उन्हें वित्तीय लाभ मिलना चाहिए। सरकार को पर्याप्त मुआवजा सुनिश्चित करना चाहिए, उन्होंने जोर दे कर यह बात कही।
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इससे पहले पुणे में कोकाटे के बयान के संबंध में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए डीसीएम अजित पवार ने कहा था कि मैंने पहले भी माणिकराव कोकाटे से कहा है कि किसानों के बारे में सोच समझ कर बयान दें। किसान अन्नदाता है। वह लाखों लोगों का पेट भरता है। हम भी बहुत कुछ जानते हैं। लेकिन सब कुछ बोलना जरूरी नहीं होता है। इस दौरान अजित ने यह कह कर कोकाटे का बचाव भी किया कि कोकाटे को अभी सब बातें मन में रखने की आदत नहीं पड़ी है, इसलिए ये सब हो रहा है। लेकिन, ये बयान मुझे बहुत भारी पड़ रहे हैं और इससे मुझे बहुत अधिक नुकसान हो रहा है।