भीषण जलसंकट से जूझ रहे अकोलावासी (सौजन्यः सोशल मीडिया)
अकोला: अकोला शहर इस समय भीषण जलसंकट से जूझ रहा है।कोटेपूर्णा बांध में जलसंचय मात्र 13.9% शेष रह गया है, जिससे नागरिकों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया। पहले तीन दिन छोड़कर मिलने वाला जल अब सात दिन के अंतराल पर मिल रहा है, जिससे पूरे शहर में असंतोष और आक्रोश का माहौल है। इस पृष्ठभूमि में वंचित बहुजन आघाड़ी के शहर संयोजक नीलेश देव ने अकोला महानगरपालिका के आयुक्त डॉ. सुनील लहाने को एक निवेदन सौंपकर तत्काल सभी राजनीतिक दलों की संयुक्त बैठक बुलाने और जल संकट के तात्कालिक व दीर्घकालीन समाधान हेतु ठोस योजना तैयार करने की मांग की है।
निवेदन में कहा गया है कि आंकड़ों में पानी भले दिखाई देता हो, लेकिन हकीकत में शहर के कई हिस्सों में न तो पानी की टंकियां हैं, न फिल्टर, और न ही भंडारण की व्यवस्था बुज़ुर्ग, महिलाएं और बच्चे भी पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जो न केवल प्रशासनिक विफलता है, बल्कि समाज की उपेक्षा भी है। देव ने बताया कि मुंबई प्रांतिक महापालिका अधिनियम 1949 की धारा 26(1)(अ) के अनुसार स्वच्छ जल आपूर्ति करना पालिका की मौलिक जिम्मेदारी है। साथ ही संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत जल को जीवन के अधिकार से जोड़ा गया है।
सभी राजनीतिक, सामाजिक संगठनों और विशेषज्ञों की सहभागिता से खुला संवाद, टैंकर से नियोजित जल आपूर्ति: जरूरतमंदों को पर्याप्त व समय पर पानी, बोरवेल-झीलों का पुनरुद्धार व जलस्तर परीक्षण, पाइपलाइनों की तत्काल मरम्मत हेतु अभियान. प्रभाग स्तर पर जनजागरूकता और नागरिक समितियों की भागीदारी, जल प्रबंधन योजना को सार्वजनिक कर नागरिकों से पारदर्शी संवाद, आत्मविश्लेषण करे सरकारदेव ने जल संकट की गंभीरता पर ध्यान दिलाते हुए कहा कि पिछले महीने से ही जल संकट की चेतावनियां मिल रही थीं, लेकिन प्रशासन की तैयारी अपर्याप्त रही है।
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उन्होंने प्रशासन से तत्काल निर्णय लेने का भावनात्मक आवाहन भी किया। तत्काल निर्णय की आवश्यकता नीलेश देव ने अपने निवेदन में कहा, आप वर्तमान में अकोला महानगरपालिका के प्रशासक हैं। इस पद का सही उपयोग करते हुए ठोस निर्णय लेना समय की मांग है। उन्होंने आयुक्त डॉ. सुनील लहाने से अपील की कि जलसंकट जैसे गंभीर मुद्दे पर तुरंत और प्रभावी कदम उठाए जाएं।
यह प्रस्ताव केवल एक निवेदन नहीं, बल्कि नागरिकों की आशाओं और प्रशासन की जिम्मेदारी के बीच सेतु के रूप में प्रस्तुत किया गया है। अब शहरवासियों की निगाहें इस पर टिकी हैं कि प्रशासन आगे क्या ठोस कदम उठाता है।