शनि शिंगणापुर के फर्जी ऐप को लेकर कब होगी कार्रवाई (सौजन्यः सोशल मीडिया)
अहिल्यानगर: शनि शिंगणापुर देवस्थान के फर्जी ऐप को लेकर पूरे महाराष्ट्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। लेकिन इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई होती नहीं दिख रही है। इस मामले में तत्काल कार्रवाई और दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग जोर पकड़ रही है।
कांग्रेस के संभाजी मालवडे, भाजपा के ऋषिकेश शेटे, वैभव शेटे ने इस मामले में सबसे पहले आवाज उठाई थी। जिला पुलिस अधीक्षक के पास शिकायत दर्ज कराई गई है। उसके बाद शनि शिंगणापुर देवस्थान ने साइबर में शिकायत दर्ज कराई है।
मंदिर प्राधिकरण ने श्रीमंदिर ऐप, उत्सव ऐप, देवधाम ऐप और वामा ऐप को अनुमति दी थी। इसके बाद मंदिर प्राधिकरण ने 22 मई को उपरोक्त सभी ऐप को बंद करने का पत्र जारी किया, ऐसा आवेदन में कहा गया है। इन सबके अलावा कई अनधिकृत ऐप 3 साल से चल रहे थे।
यह अनधिकृत ऐप कौन चला रहा था? इसमें कौन शामिल है? तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। मंदिर ने 22 मई को वामा ऐप पर प्रतिबंध लगाने का पत्र जारी किया था, इसके बावजूद कहा जा रहा है कि बाद में इसने ऐप पर विज्ञापन के लिए शनिदेव की स्वयं निर्मित मूर्ति की तस्वीर का इस्तेमाल किया।
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शनि शिंगणापुर ऑनलाइन पूजा का विषय गरमाया हुआ है। करोड़ों रुपए की ठगी की बात कई लोगों द्वारा किए जाने के बावजूद मंदिर प्रशासन कोई कदम क्यों नहीं उठा रहा है? यह शनि भक्तों का सवाल है। पिछले पंद्रह दिनों से उदासी महाराज मठ, चौथरा क्षेत्र में वीडियो कॉलिंग करने वाले मंदिर कर्मचारियों को नोटिस जारी कर शनि प्रतिमा की फोटो और वीडियो न लेने को कहा गया है। इस पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।
गांव में पूजा सामग्री बेचने वाले कर्मचारी, दुकान से जुड़े कुछ युवक, मंदिर में पूजा करने वाले पुजारी आदि सभी अब हर कदम पर सावधानी बरतते नजर आ रहे हैं। शिकायत दर्ज हुए 3 सप्ताह बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है। क्या यह कुछ लोगों को समर्थन देने की भूमिका नहीं है? शनि भक्तों को इस बात का संदेह है।
बयानों, शिकायतों, फेसबुक, लाइव और सोशल मीडिया पर ऑनलाइन पूजा-अर्चना के जरिए करोड़ों के घोटाले की बात कही जा रही है। बताया जा रहा है कि यह रैकेट इलाके का ही है। अब इस पर क्या कार्रवाई होगी, इस पर सबकी नजर है।