
विभिन्न किसान संगठनों के प्रतिनिधि हुए आक्रामक
Ahilyanagar Farmers: अहिल्यानगर जिले में गन्ना पेराई सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन अब तक कई चीनी कारखानों ने गन्ने का दर घोषित नहीं किया है। किसानों ने मांग की है कि गन्ने का एकमुश्त भाव ₹3,500 प्रति टन घोषित किया जाए, अन्यथा 17 नवंबर को जिलाधिकारी कार्यालय और प्रादेशिक सह-संचालक (चीनी) कार्यालय में धरना आंदोलन किया जाएगा। यह चेतावनी विभिन्न किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और किसानों ने आज हुई बैठक में दी।
अहिल्यानगर स्थित जिलाधिकारी कार्यालय में गन्ना दर और अन्य मुद्दों को लेकर प्रादेशिक सह-संचालक (चीनी) के पहल पर बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता अतिरिक्त जिलाधिकारी शैलेश हिंगे ने की। इस अवसर पर प्रादेशिक सह-संचालक (चीनी) कार्यालय के अधिकारी, किसान संगठन और जिले के विभिन्न चीनी कारखानों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
स्वाभिमानी शेतकरी संघटना के पदाधिकारी रावसाहेब लवांडे, बाळासाहेब फटांगडे, रमेश कचरे, आरले और जिलाध्यक्ष अनिल औताडे सहित कई प्रतिनिधियों ने किसानों की ओर से प्रमुख मुद्दे उठाए। उन्होंने कहा कि “कर्नाटक में गन्ने का ₹4,300 प्रति टन दर मिल रहा है, तो महाराष्ट्र के किसानों को यह दर क्यों नहीं दिया जा रहा?”
किसान नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि गन्ने का ₹3,551 प्रति टन दर घोषित नहीं किया गया और पिछला ₹200 प्रति टन बकाया नहीं चुकाया गया, तो गन्ना कटाई नहीं होने दी जाएगी।
किसान प्रतिनिधियों ने यह भी सवाल उठाया कि बकाया राशि पर ब्याज सहित वसूली होगी या नहीं। इन प्रश्नों पर प्रादेशिक सह-संचालक (चीनी) कार्यालय के अधिकारी जवाब देने में असमर्थ रहे।
पत्रकारों को बैठक से दूर रखने पर जिलाध्यक्ष अनिल औताडे ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि “बैठक किसानों के हित के लिए होती है, तो मीडिया को दूर क्यों रखा गया? आखिर किसानों को जानकारी समाचार माध्यमों के जरिए क्यों नहीं दी जा रही?”
बैठक में किसानों ने आरोप लगाया कि कई चीनी कारखाने गन्ने का वजन कम दिखाते हैं, भुगतान में देरी करते हैं और किसानों के साथ पारदर्शिता नहीं रखते। किसान नेताओं का कहना था कि प्रादेशिक सह-संचालक (चीनी) कार्यालय कारखानों को संरक्षण दे रहा है, जिससे किसानों में नाराजगी बढ़ रही है।
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बैठक में यह मुद्दा भी उठा कि कुछ कारखाने “परवडत नाही” (नुकसान का हवाला देते हुए) घोषित दर से कम भुगतान कर रहे हैं। इस पर प्रशासन ने स्पष्ट किया कि कारखानों को घोषित दर पर ही भुगतान करना अनिवार्य है।
वनजकाटे, वाहतूक (परिवहन) व अन्य विषयों पर शीघ्र ही एक और बैठक बुलाई जाएगी। अतिरिक्त जिलाधिकारी शैलेश हिंगे ने निर्देश दिए कि गन्ना डालने के 14 दिनों के भीतर भुगतान करना कानूनन अनिवार्य है। साथ ही, कुकडी (श्रीगोंदा) और नाथ (पैठण) कारखानों को किसानों के बकाया भुगतान ब्याज सहित तत्काल करने के आदेश भी जारी किए।






