इस्लामिक वर्णमाला की किताब (फोटो-सोशल मीडिया)
MP News: यूपी में सामाजवादी पाठशाला की तरह ही एमपी के रायसेन जिले से एक स्कूल का अजीबो-गरीब पाठ्यक्रम सामने आया है, जिस पर बवाल मच गया है। यहां एक कॉन्वेंट स्कूल में नर्सरी के बच्चों को इस्लामिक शिक्ष दिए जाने का मामला सामने आया है। जानकारी मिलते ही बच्चों के माता-पिता व हिंदू संगठनों ने जोर-शोर से मामला उठाया। अब कॉन्वेंट स्कूल में इस्लामिक शिक्षा देने के मामले में प्रशासनिक जांच की बात कही जा रही है।
इससे पहले यूपी में समाजवादी पाठशाला में A फॉर अखिलेश और D फॉर डिंपल पढ़ाए जाने का मामला भाजपा ने जोर-शोर से उठाया था। इस मामले में समाजवादी पाठशाला चलाने वालों पर FIR भी दर्ज की गई। अब ऐसा ही मामला राजसेन जिले से आया है, जहां क से काबा, म से मस्जिद और न से नमाज पढ़ाए जाने का मामला सामने आया है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पाठ्यक्रम में बकायदा चित्र मस्जिद व काबा का चित्र भी छपा है। मामले का खुलासा तब हुआ, जब एक बच्ची अपने घर पर यही किताब पढ़ रही थी। बच्ची के परिजन ने देख लिया। किताब अ से औरत की जगह हिजाब पहने हुए औरत का चित्र था। इसके बाद परिजनों ने मामले का संज्ञान लिया। घटना को लेकर हिंदू संगठनों ने स्कूल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया।
आरोप है कि बेबी कॉन्वेंस स्कूल की प्रिंसिपल आईए कुरैशी ने छात्रों को हिंदी वर्णमाला की उपल्बध करवाई थी। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लोगों ने शुक्रवार को स्कूल के खिलाफ प्रदर्शन किया। साथ स्कूल का घेराव किया। मामले के लोकर एसडीपीओ प्रतिभा शर्मा ने बताया कि पुलिसकर्मियों ने स्थिति को नियंत्रण में कर लिया है। उन्होंने कहा कि मामला शिक्षा विभाग से जुड़ा हुआ है। घटना से जिला शिक्षा अधिकारी को अवगत करा दिया गया है। आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।
वहीं रायसेन जिले के जिला शिक्षा अधिकारी डी डी रजक ने मामले को लेकर कहा कि बच्ची के परिजनों द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच की जा रही है। जिला शिक्षा अधिकारी के मुताबिक, शिक्षा विभाग के दिशानिर्देशों के अनुसार किसी भी धर्म विशेष के धार्मिक प्रतीकों वाले कंटेंट स्कूलों में नहीं पढ़ाएं जा सकते हैं।
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प्रिंसिपल कुरैशी ने गलती स्वीकार करते हुए कहा कि हिंदी-उर्दू मिक्स्ड टेबल वाली किताबें छात्रों को दी गई थीं। उन्होंने कहा कि किताबें भोपाल से मंगाई गई थीं। विक्रेता की गलती की वजह से मदरसों की किताबें आ गई थीं। आमतौर पर ऐसी वर्णमाला की किताबें मदरसों के बच्चों को दी जाती हैं।