महाकाल मंदिर (कांसेप्ट फोटो सौ. सोशल मीडिया )
उज्जैन: मध्य प्रदेश में स्थित महाकाल मंदिर में वीआईपी दर्शन के नाम पर लाखों रुपयों के लेनदेन की खबर सामने आई है। इस मामले में मंदिर के 2 कर्मचारियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है और उनका मोबाइल जब्त किया गया है। पुलिस को उनके पास से लाखों रुपये के लेन-देन के रिकॉर्ड मिले हैं। ये रुपये भक्तों से नंदी हॉल और महाकाल की चौखट के दर्शन कराने के नाम पर लिए गए। इसके साथ ही उनके मोबाइल नंबरों के साथ उनके परिजनों के खातों में लाखों के ट्रांजेक्शन सामने आए हैं। फिलहाल पुलिस इस मामले की विवेचना में जुटी हुई है और एक बड़े खुलासे की बात कह रही है। प्रोटोकॉल दर्शन के नाम पर यूपी और गुजरात सहित अन्य स्थानों से आने वाले श्रद्धालुओं से 1100 से 2000 रुपये तक वसूल किए जा रहे थे।
इसके साथ ही उज्जैन कलेक्टर यहां दर्शन के लिए पहुंचे थे, और उन्होंने पाया था कि यहां श्रद्धालुओं से वीआईपी दर्शन के नाम पर पुरोहित 1100 और 2100 रुपये ले रहे हैं। मामले में पुरोहित और पुरोहित प्रतिनिधि के साथ 4 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया। मंदिर के सफाई प्रभारी विनोद चौकसे और सभा मंडप प्रभारी राकेश श्रीवास्तव के बैंक खातों की जांच की गई, जिसमें लाखों रुपये के संदिग्ध ट्रांजेक्शन पाए गए। ये राशि मंदिर में सेवा के दौरान अवैध रूप से वसूली गई थी। दोनों कर्मचारियों के खिलाफ महाकाल थाने में धारा 318 (4) 316 (2) में केस दर्ज कर लिया हैं।
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बता दें कि महाकाल मंदिर में प्रोटोकॉल दर्शन के तहत जनप्रतिनिधियों और अन्य वीआईपी भक्तों को नंदी हॉल तक जाने की अनुमति मंदिर कार्यालय से दी जाती है। सामान्य दर्शनार्थियों को 250 रुपये की रसीद के माध्यम से बिना लाइन दर्शन की सुविधा मिलती है। इसी व्यवस्था का फायदा उठाकर मंदिर के कर्मचारी ठगी को अंजाम देते थे। कर्मचारी पहले भक्तों को नंदी हॉल से विशेष दर्शन और जल चढ़ाने का झांसा देकर पुजारी और पुरोहित से मिलवाते थे।
हलांकि प्रत्येक भक्त से 1100 से लेकर 2100 रुपये तक वसूले जाते थे। यह राशि, जो मंदिर समिति को जानी चाहिए थी, इसे कर्मचारी खुद हड़प लिया करते थे। पुरोहित के प्रतिनिधि राजेश भट्ट ने भी 3,300 रुपये की अवैध वसूली की है, और नंदी मंडपम में तैनात सुरक्षाकर्मी विकास, संदीप, करण और कन्हैया के भी इस ठगी में शामिल होने की जानकारी मिली है।