(सौजन्य सोशल मीडिया)
श्योपुर (मध्य प्रदेश) : मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में चीतों के संरक्षण के लिये पार्क प्रशासन ने नई पहल शुरू की है। पार्क ने चीतों के संरक्षण के प्रयास में उनके फर पर एक विदेशी मरहम लगाने की नयी पहल शुरू की है जिससे बरसात में होने वाले संक्रमण से चीतों को बचाया जा सकेगा। संक्रमण के कारण उद्यान में पिछले साल तीन चीतों की मौत हो गई थी।
कूनो राष्ट्रीय उद्यान के एक अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार चीतों पर इस उपाय का उद्देश्य सेप्टिसीमिया की पुनरावृत्ति को रोकना है, जो एक घातक जीवाणु संक्रमण होता है। अधिकारी ने बताया कि इस संक्रमण ने राष्ट्रीय उद्यान में पिछले साल तीन चीतों की जान ले ली थी।
उद्यान के अधिकारी ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से स्थानांतरण परियोजना के तहत भारत लाए गए चीतों पर कूनो राष्ट्रीय उद्यान में सेप्टिसीमिया के खतरे से निपटने के लिए एंटी एक्टो पैरासाइट औषधि लगायी जा रही है। यह मरहम दक्षिण अफ्रीका से आयातित किया गया है। मरहम कूनो राष्ट्रीय उद्यान के सभी 13 वयस्क चीतों पर लगाया जा रहा है, ताकि बरसात के मौसम में उनकी सेहत सुनिश्चित की जा सके।
कूनो राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक उत्तम शर्मा ने रविवार को फोन पर पीटीआई-भाषा को बताया कि बरसात के मौसम की शुरुआत के साथ ही चीतों पर दक्षिण अफ्रीका से आयातित ‘एंटी एक्टो पैरासाइट मेडिसिन’ (एंटी मैगॉट) लगाना शुरू कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले साल असफलताओं का सामना करने के बावजूद, कूनो राष्ट्रीय उद्यान भारत में चीतों के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध है। सेप्टीसीमिया के कारण तीन चीतों की मृत्यु ने शेष चीतों की सुरक्षा के लिए सक्रिय उपायों की आवश्यकता को रेखांकित किया।
चीतों के संरक्षण को लेकर किये जा रहे उपायों पर केएनपी निदेशक ने आगे बताया कि वे श्योपुर जिले में बफर जोन सहित 1,235 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले केएनपी में सभी 13 वयस्क चीतों के शरीर पर यह दवा लगाने जा रहे हैं। इस मरहम का प्रभाव तीन से चार महीने तक रहता है।
इस प्रोजेक्ट के तहत कूनो राष्ट्रीय उद्यान में 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से 8 चीते और 18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रीका से भी 8 ही चीते लाए गए थे। इनमें से 7 वयस्क चीतों की मौत हो चुकी है, जबकि 13 वयस्क चीते कूनो में बचे हैं। दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों में 8 चीते और नामीबिया से लाए गए 5 चीते ही शेष बचे हैं। महत्वाकांक्षी प्रोजक्ट चीता कार्यक्रम के तहत इन अफ्रीकी देशों के चीतों को भारत लाया गया था। इसका मकसद भारत में विलुप्त हो चुके चीतों की आबादी को फिर से पुनर्जीवित करना है। (एजेंसी इनपुट के साथ)