
IAS वर्मा के बयान से MP में कलेश, प्रदेश में आक्रोश और आंदोलन की चेतावनी
IAS Santosh Verma Brahmin Samaj Controversy: मध्य प्रदेश में आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा के बयान पर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। ‘ब्राह्मण बेटी’ को लेकर दिए गए विवादित तर्क के बाद अब पूरा मामला आर-पार की लड़ाई में बदल गया है। ब्राह्मण समाज ने दो टूक चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने सख्त कार्रवाई नहीं की, तो पूरे प्रदेश में उग्र आंदोलन होगा। अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज ने मुख्यमंत्री से सीधे हस्तक्षेप की मांग करते हुए अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निष्कासित करने की अपील की है, जिससे प्रशासन की चिंताएं बढ़ गई हैं।
विवाद गहराता देख अब आईएएस संतोष वर्मा ने अपनी सफाई पेश की है। उनका कहना है कि उनके बयान का मकसद राजनीतिक हंगामा खड़ा करना नहीं था, बल्कि वे सामाजिक बराबरी और ‘रोटी-बेटी’ के व्यवहार की बात कर रहे थे। उन्होंने खेद जताते हुए कहा कि उनकी बातों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया और उनके मन में किसी समुदाय के लिए द्वेष नहीं है। हालांकि, उनकी इस सफाई से लोगों का गुस्सा शांत नहीं हुआ है। समाज के नेताओं का मानना है कि लाड़ली लक्ष्मी जैसी योजनाओं वाले प्रदेश में एक जिम्मेदार अधिकारी द्वारा ऐसी भाषा का इस्तेमाल अक्षम्य है।
अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के प्रदेश अध्यक्ष पुष्पेंद्र मिश्र ने इस घटना पर कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि एक पढ़ा-लिखा अधिकारी अगर ऐसी अभद्र भाषा का प्रयोग करे, तो यह पूरे समाज के लिए शर्मनाक है। उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन यादव से निवेदन किया है कि ऐसे व्यक्ति को तुरंत पद से हटाया जाए, वरना सड़कों पर उतरने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा। मिश्र का कहना है कि अगर आंदोलन होता है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी। संगठन का तर्क है कि यह मसला अब केवल एक बयान का नहीं, बल्कि बेटियों के सम्मान और सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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यह पूरा विवाद भोपाल में आयोजित अजाक्स के प्रांतीय अधिवेशन से शुरू हुआ था। वहां भाषण देते हुए नवनिर्वाचित प्रांताध्यक्ष और वरिष्ठ IAS संतोष वर्मा ने कहा था कि आरक्षण तब तक जारी रहना चाहिए जब तक मेरे बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी दान में नहीं देता या उससे संबंध नहीं बनता। सोमवार शाम को जैसे ही यह वीडियो वायरल हुआ, सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारों तक हड़कंप मच गया। लोगों का कहना है कि आरक्षण जैसे संवैधानिक मुद्दे को निजी रिश्तों और बेटियों के ‘दान’ से जोड़ना बेहद आपत्तिजनक और स्तरहीन मानसिकता का प्रतीक है, जिसने समाज में अनावश्यक तनाव पैदा कर दिया है।






