भगवान धनवंतरि का एकमात्र मंदिर ( सौ.सोशल मीडिया)
Lord Dhanvantatri Temple: आज देशभर में धनतेरस का त्योहार मनाया जा रहा है। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है इसके साथ ही चिकित्सा क्षेत्र में भगवान धनवंतरि की पूजा भी की जाती है। धनतेरस के मौके पर कई चीजों का खास मेल मिलता है। कई लोग नहीं जानते होंगे उत्तर प्रदेश के वाराणसी के सुड़िया में भगवान धनवंतरि की एकमात्र मूर्ति स्थित है जहां पर धनतेरस के दिन पूजा के लिए भीड़ उमड़ने लगती है। साल में एक बार धनतेरस के दिन इस मंदिर का पट खुलता है। वहीं पर दर्शन के लिए 5 घंटे मंदिर के कपाट खुलेंगे। कहा जाता है कि, मंदिर 5 घंटे के लिए खुलते है।
बताया जाता है कि, आज से 327 साल पहले भगवान धनवंतरि की जयंती मनाने की शुरुआत हुई है। बात करें तो भगवान धनवंतरि को आयुर्वेद के देवता के रूप में जानते है।भगवान धन्वंतरि की छवि सभी भक्तों को अलग बनाती है। इस पूजा में भगवान के एक हाथ में अमृत कलश होता है, भगवान के दूसरे हाथ में शंख धारण किए हुए हैं। भगवान तीसरे हाथ में चक्र और चौथे हाथ में जोंक लिए हुए दोनों ओर सेविकाएं चंवर डोलाती नज़र आती हैं। साथ ही दिव्य झांकी के दर्शन करने के बाद भक्त मंडली भगवान धनवंतरी का जयकारा लगाते हैं।
उत्तरप्रदेश के वाराणसी के सुड़िया में भगवान धनवतरि का मंदिर स्थित है। इस मंदिर में प्रतिमा ढाई फ़ीट ऊंची अष्टधातु की 25 किलोग्राम की रत्नजड़ित मूर्ति बैकुंठपुर में होने का एहसास कराती है। इसके अलावा राजवैद्य स्व. शिवकुमार शास्त्री का परिवार पांच पीढ़ियों से प्रभु की सेवकाई में रत हैं. उनके बाबा पं. बाबूनंदन जी ने 326 साल पहले धन्वंतरि जयंती की शुरुआत की थी। इनकी आज की पीढ़ी इस परंपरा को बरकरार रख रहे है।
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वैद्यराज के पुत्र रामकुमार शास्त्री, नंद कुमार शास्त्री व समीर कुमार शास्त्री पूरे विधान से काशी के इस आयुर्वेद की परंपरा को निभा रहे हैं. कई असाध्य रोगों का आयुर्वेदिक इलाज यहां से होता है. देश-विदेश के कई ख्याति प्राप्त लोगों ने यहां से अपना इलाज कराया।