भारतीय खाना है सबसे अच्छा (सौ.सोशल मीडिया)
Global Climate Change: ग्लोबल क्लाइमेट चेंज का असर काफी तेज होता है जिससे निपटने के लिए अक्सर उपाय खोजे जाते है। हालिया रिपोर्ट में पता चला है कि, भारतीय लोगों की खान-पान की आदतें वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकती है। यह रिपोर्ट दरअसल वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) की ओर जारी लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट से पता चला है। भोजन की बर्बादी को कम करने से इस ग्लोबल क्लाइमेट चेंज की समस्या पर असर पड़ता है।
यहां पर रिपोर्ट के अनुसार, डेटा एनालिटिक्स कंपनी ग्लोबल डेटा की उपभोक्ता विश्लेषक श्रावणी माली ने कहा कि, कुछ सालों से बड़े शहरों में शाकाहारी भोजन को लेकर लोगों के रूझान बढ़े हैं। इसमें आगे कहा कि, “देश की वर्तमान खाद्य उपभोग पद्धतियां पौधों पर आधारित आहार और जलवायु अनुकूल फसलों, जैसे बाजरा पर जोर देती हैं. इसके लिए कम संसाधनों की आवश्यकता होती है और मांस प्रधान आहार की तुलना में कम उत्सर्जन होता है, यह परिवर्तन स्थिरता पर व्यापक ध्यान से भी जुड़ा हुआ है.” यहां पर भले ही आधी आबादी पैकेज्ड फूड्स खाने पर निर्भर है वहीं पर बाहर के खाने और पीने की चीजों को खरीदते हुए उसका एनवायरमेंट फ्रेंडली कितना है इसके बारे में जान लेना जरूरी होता है।
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यहां पर माली ने कहा कि, पारंपरिक खाने में अक्सर दाल, अनाज और सब्जियों को शामिल करते है जो मौसम अनुकूल होने के साथ ही स्थानीय उपज पर जोर देता है। यहां पर पारंपरिक आहार पर्यावरण के मुद्दों पर अधिक आकर्षित करने के साथ-साथ लोकप्रिय होते जा रहे हैं. परिणामस्वरूप बढ़ती जागरूकता के साथ उपभोक्ता पारंपरिक आहार प्रथाओं को अपनाकर पर्यावरणीय बोझ को कम करने की उम्मीद करेंगे, जो पौधे-आधारित खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता देते हैं।” यानि यहां पर जलवायु के अनुकूल आहार, विशेष रूप से भारतीयों के खाने की आदतों को अपनाना, वैश्विक पर्यावरणीय और स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान में अहम साबित हो सकता है जो बेहद फायदेमंद होता है। इस आधार पर अपनी डाइट की कल्पना की जाती है।